Ganesh Utsav 2022: गणेश जी की जन्मस्थली 'डोडीताल', आप भी करें दर्शन

Wednesday, Sep 07, 2022 - 03:31 PM (IST)

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गणेश उत्सव का पावन समय चल रहा है। इस दौरान देश में चारों ओर गणपति बप्पा के जयकारों की गूंज सुनाई देती है। अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको गणेश उत्सव से जुड़ी लगभग जानकारी दे चुके हैं। इतना ही नहीं गणेश उत्सव के अवसर को ध्यान में रखते हुए हम आपको लगातार गणपति बप्पा के विभिन्न मंदिरों के बारे में बता रहे हैं। इस कड़ी में आज एक बार फिर हम आपको बतान जा रहे हैं गणेश जी के एक बेहद अद्भुत व रहस्यमयी मंदिर के बारे में- 

लगभग लोग जानते होंगे कि भगवान गणेश जी का प्राक्ट्य मााता पार्वती की मैल से हुआ था। परंतु इनकी जन्म से जुड़ी अन्य कथा प्रचलित है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। आज हम आपको इसी कथा के प्रमाणिक मंदिर कसे रूबरू करवाने जा रहे हैं । तो चलिए बिना देर किए जानें बप्पा के इस रहस्यमयी जन्मस्थली के बारे में-  

‘गणेश जन्मभूमि डोडीताल कैलासू, असी गंगा उद्गम अरु माता अन्नपूर्णा निवासूज्ये।’  यह लोक गीत उत्तराखंड के डोडीताल कैलासू गांव के घर-घर में गाया जाता है। इस लोकगीत से भगवान गणेश जी का बहुत पुराना रिश्ता है। मान्यता है कि देवों की भूमि उत्तराखंड के इसी गांव में भगवान भोलेनाथ के पुत्र भगवान गणेश का जन्म हुआ था। यहां माता अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर है जबकि गणेश जी अपनी माता के साथ विराजमान हैं। डोडीताल, जो मूल रूप से बुग्याल के बीच में काफी लंबी-चौड़ी झील है, वहीं गणेश जी का जन्म हुआ था।यह भी कहा जाता है कि केलसू, जो मूल रूप से एक पट्टी है (पहाड़ी गांवों के समूह को पट्टी के रूप में जाना जाता है) का मूल नाम कैलाशू है।

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इसे स्थानीय लोग शिव जी का कैलाश बताते हैं। केलसू क्षेत्र असी गंगा नदी घाटी के 7 गांवों को मिलाकर बना है। भगवान गणेश को स्थानीय बोली में ‘डोडी राजा’ कहा जाता है जो केदारखंड में गणेश जी के लिए प्रचलित नाम ‘डुंडीसर’ का अपभ्रंश है। मान्यता अनुसार डोडीताल क्षेत्र मध्य कैलाश में आता था जो गणेश जी की माता और शिव पत्नी पार्वती का स्नान स्थल था। वैसे कैलाश पर्वत तो यहां से सैंकड़ों मील दूर है परंतु स्थानीय लोग मानते हैं कि एक समय यहां माता पार्वती विहार पर थीं तभी उन्होंने स्नान के लिए जाने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक सुंदर बालक गणेश जी को उत्पन्न किया।

रॉकफोर्ट उच्ची पिल्लयार मंदिर
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली (त्रिचि) में रॉक फोर्ट नामक पहाड़ी की चोटी पर स्थित उच्ची पिल्लयार मंदिर बहुत प्राचीन माना जाता है। इससे जुड़ी मान्यता है कि यहां रावण के भाई विभीषण ने एक बार भगवान गणेश जी पर वार किया था। कथा अनुसार श्री राम ने उन्हें विष्णु जी की मूर्ति लंका में विराजमान करने के लिए दी थी और शर्त यह थी कि ले जाते वक्त भूमि पर न रखें अन्यथा मूर्ति वहीं विराजमान हो जाएगी। इधर, देवता नहीं चाहते थे कि यह मूर्ति राक्षस राज्य में स्थापित हो। उन्होंने गणेश जी से मदद मांगी जो एक बालक का वेश धारण करके विभीषण के पीछे हो लिए। रास्ते में विभीषण ने सोचा थोड़ा स्नान ध्यान कर लिया जाए। उन्होंने उस बालक को देखकर कहा कि यह मूर्ति संभालो, इसे नीचे मत रखना। मैं अभी नदी में स्नान करके आता हूं। बालरूप में गणेश जी ने वह मूर्ति ले ली और उनके जाने के बाद भूमि पर रख दी और पहाड़ी पर छुप गए। विभीषण को पता चला तो उन्हें बहुत क्रोध आया और वह उस बालक को ढूंढते हुए चोटी पर पहुंच गए और उसके सिर पर प्रहार किया। गणेश जी अपने असली रूप में प्रकट हो गए तो यह देखकर विभीषण पछताए और उन्होंने क्षमा मांगी। तभी से इस चोटी पर गणेश जी विराजमान हैं। 273 फुट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर तक जाने के लिए 400 के लगभग सीढ़िया हैं।

Jyoti

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