Ganesh Utsav 2021: आज करें गणपति पूजा, कोई काम नहीं रहेगा अधूरा

Friday, Sep 10, 2021 - 11:09 AM (IST)

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Ganesh chaturthi 2021 september: भारतीय सनातन संस्कृति की पूजा पद्धति में गणेश जी का सर्वोपरि स्थान है। इन्हें विद्या, बुद्धि के प्रदाता, विघ्न विनाशक, मंगलकारी, सिद्धि दायक, समृद्धि, शक्ति और सम्मान के प्रदायक माना गया है। भाद्रपद की इस चतुर्थी को गणेश जी का प्रकट उत्सव होने के कारण उनके भक्तों के लिए इस तिथि का विशेष महत्व है। सम्पूर्ण विधि-विधान से गणपति की अर्चना विशेष रूप से पुण्य प्रदान करने वाली कही गई है। सनातन धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में गणपति को प्रथम पूज्य देव कहा गया है। 

किसी भी धार्मिक सत्कर्म, अनुष्ठान के आरम्भ में, उत्तम से उत्तम और साधारण से साधारण कार्य में भी गणपति का स्मरण एवं पूजन किया जाता है। इनके पूजन के बिना कोई भी मांगलिक कार्य शुरू नहीं होता। सनातन ग्रंथों में भी गणपति की पूजा का सर्वप्रथम विधान किया गया है। ‘गण’ का अर्थ है वर्ग या समूह और ‘ईश’ का अर्थ है स्वामी। शिव गणों एवं देव गणों के स्वामी होने के कारण इन्हें गणेश कहा जाता है। 

गणेश चतुर्थी के पावन पर्व के अवसर पर गणेश जी की बड़ी-बड़ी सुंदर प्रतिमाओं को स्थापित करके उनकी 9 दिन तक आराधना की जाती है। गणपति की अर्चना से अंत:करण में सात्विक एवं सद्वृत्तियों का उदय होता है। इन्हें सद्बुुद्धि का जनक कहा गया है। दुर्बुद्धि तथा हृदय की मलिनता से ही मनुष्य निकृष्ट कर्मों में निमग्न होकर पाप का भागी बनता और दुखों को प्राप्त होता है। हृदय में विद्यमान सात्विक प्रवृत्तियां ही मनुष्य के जीवन में आनंद एवं शाश्वत शांति का संचार करती हैं। गणपति स्तोत्र में भगवान गणेश का स्तवन करते हुए कहा गया है कि-

‘ओं नमो विघ्ननाशाय सर्व सौख्यप्रदायिने। दुष्टारिष्ट विनाशाय पराय परमात्मने।।’

अर्थात सभी प्रकार के सुख प्रदान करने वाले, विघ्नों के नाशक गणपति को नमन है जो मानसिक दुख, क्लेश, दुर्बुद्धि का विनाश करने वाले हैं, उस भगवान को नमन है।

इस पावन पर्व पर श्रद्धा के साथ की गई गणपति आराधना से मनुष्य के समस्त विघ्नों का नाश होता है। गणपति की उपासना उत्तम बौद्धिक संपदा एवं भौतिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति करवाती है।

Niyati Bhandari

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