Wednesday Special: सर्व सुखों की प्राप्ति के लिए जरूर करें इसका श्रवण

Tuesday, Sep 13, 2022 - 05:15 PM (IST)

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बुधवार के दिन गणपति बप्पा की पूजा का विशेष महत्व है। यूं तो प्रत्येक बुधवार इनकी पूजा के लिए खास माना जाता है। लेकिन हाल ही में गणेश उत्सव का पर्व निकल गया है कि जिसके समापन के ये पहला बुधवार आया है। ऐसे में गणेश भगवान की पूजा काफी फलदायी मानी जा रही है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं बुधवार के व्रत से जुड़ी कथा। जी हां, धार्मिक और ज्योतिष के अनुसार विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा करने व व्रत करने वाले लोगों के लिए इस कथा को पढ़ना या इसरा श्रवण करना बेहद जरूरी माना जाता है। तो आइए जानते हैं क्या है बुधवार व्रत की कथा, जिसके बारे में मान्यता है कि इससे पढ़ने व सुनने से व्यक्ति को सर्व सुखों की प्राप्ति होती है। 

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है। मधुसूदन नाम का एक व्यक्ति समतापुर नगर में रहता था। उसका विवाह पास के ही नगर बलरामपुर की संगीता से हुआ था। वह सुंदर और सुशील थी। एक दिन मधुसूदन अपनी पत्नी को लाने के लिए अपने ससुराल गया। और उसी दिन ही विदा करने की जिद पर अड़ गया। दुर्भाग्यवश उस दिन बुधवार था। सभी ने समझाया कि आज बुधवार का दिन है, आज के दिन यात्रा नहीं करते हैं। लेकिन वह व्यक्ति किसी प्रकार न माना और हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा।

वे दोनों बैलगाड़ी में बैठकर जाने लगे। तभी रास्ते में बैलगाड़ी का एक पहिया टूट गया, फिर दोनों पैदल यात्रा करने लगे। इसी बीच राह में उसकी पत्नी संगीता को प्यास लगी तो उसने अपने पति से कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है। तब वह व्यक्ति लोटा लेकर जल लेने चला गया। जैसे ही वह व्यक्ति पानी लेकर अपनी पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठीक अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा में वह व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ रथ में बैठा हुआ है। 

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उसने क्रोध से उससे पूछा कि वो कौन है? जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है।  इस पर उसने कहा कि वो तो मधुसूदन है और संगीता उसकी पत्नी है। इसे मैं अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूं। अब दोनों के बीच संगीता के असली पत्नी होने को लेकर झगड़ा होने लगा। तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे। उन्होंने स्त्री से पूछा कि तुम्हारा असली पति कौन है। तब वह जवाब नहीं दे पाई क्योंकि वो खुद दुविधा में पड़ गई थी। वह किसे अपना असली पति कहे। तब वह जवाब नहीं दे पाई क्योंकि वो खुद दुविधा में पड़ गई थी. इस पर सिपाहियों ने उनको राजा के दरबार में पेश किया. पूरी बात सुनने के बाद राजा ने दोनों को जेल में डालने का आदेश हुआ।

तब मधुसूदन घबरा गया और वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करते हुआ बोला – हे परमेश्वर, यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है। तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना था। तुमने अपने किसी की बात नहीं मानी, और बुधवार को यात्रा की। यह सब लीला बुधदेव की है। बुध देव की नाराजगी के कारण तुम्हे ये सब सहन करना पड़ रहा है। उस व्यक्ति ने तब बुद्धदेव जी से प्रार्थना की उससे बड़ी गलती हो गई है। 

वह कभी भी बुधवार को यात्रा नहीं करेगा। हमेशा बुधवार का व्रत करेगा। क्षमा मांगने पर बुधदेव शांत हो गए और मधुसूदन को क्षमा करने के बाद अंतर्ध्यान हो गए। राजा के दरबार से मधुसूदन का हमशक्ल गायब हो गया। बुध देव की कृपा से राजा  ने मधुसूदन और संगीता को विदा कर दिया। वहां से जब वे आगे बढ़े  तो रास्ते में बैलगाड़ी भी सही सलामत हालत में मिल गई। उससे वे दोनों अपने नगर आ गए।बुधवार का व्रत वे दोनों पति-पत्नी नियमपूर्वक करने लगे, जिससे उनका जीवन सुखमय हो गया। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस कथा का श्रवण करता तथा सुनाता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता है, उसको सर्व प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

 

Jyoti

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