साल की पहली विनायक चतुर्थी जानें व्रत, पूजन विधि
Thursday, Jan 10, 2019 - 03:41 PM (IST)
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हिंदू धर्म के अनुसार भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय देव माना जाता है। किसी भी धर्मिक काम को शुरु करने से पहले इनका पूजन करना अनिवार्य माना गया है। भगवान गणेश के विनायक के नाम से भी जाना जाता है। आज साल की पहली विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। कई जगहों पर विनायक चतुर्थी को 'वरद विनायक चतुर्थी' के नाम से भी जाना जाता है। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायक/विनायकी चतुर्थी और संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता हैं। इस बार ये व्रत गुरुवार यानि आज के दिन मनाया जा रहा है। गुरुवारीय विनायक चतुर्थी पर हरिद्रा गणपति के विशेष पूजन व उपाय से शत्रु भी मित्र बनते हैं। इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-दौलत, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है। तो चलिए जानते हैं इनके व्रत पूजन की विधि-
पूजन विधि:
सबसे पहले ब्रह्म मूहर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें, लाल रंग के वस्त्र धारण करें। घर की उत्तर पूर्व दिशा में पीले कपड़े पर चना दाल दी ढेरी पर गणपती का चित्र स्थापित करें।
इन सबके बाद षोडशोपचार पूजन कर श्री गणेश की आरती करें और उनकी मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं।
अब गणेश का प्रिय मंत्र- 'ॐ गं गणपतयै नम:' बोलते हुए 21 दूर्वा चढ़ाएं।
भगवान को बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डुओं का ब्राह्मण को दान दें और 5 लड्डू श्री गणेश के चरणों में रखकर बाकी को प्रसाद स्वरूप बांट दें।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
इस दिन अपनी शक्ति का अनुसार व्रत करें फिर ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें और शाम के समय खुद भोजन ग्रहण करें।
शाम होने पर गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का स्तवन करें। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें तथा 'ॐ गणेशाय नम:' मंत्र की माला जपें।
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