Ganesh Chaturthi 2020: गणपति के मोटे पेट से लेकर आंखें तक देती हैं ये सीख, आप भी ज़रूर जानें

Wednesday, Aug 19, 2020 - 02:16 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुद्धि के देवता भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। जिस कारण प्रत्येक वर्ष इस दिन गणेश जी के जन्म दिन के उपलक्ष्य में गणेशोत्सव का आयोजन किया होता है। जगह-जगह लोग भगवान गणेश के लिए बड़े बड़े पंडाल आदि सजाते हैं और पूरे 11 दिन तक इनकी भरपूर सेवा करते हैं। धार्मिक शास्त्रों व ग्रंथों में इनके बारे में जितना वर्णन किया है, उसमें इनके बारे में ये पता चलता है कि ये अपने बाल्य काल में बहुत चंचल थे। तो वहीं इनके निराले स्वरूप के बारे में तो सब जानते ही होंगे। मगर क्या आप ये जानते हैं इनका स्वरूप आज के समय में प्रत्येक मानव को सीख देता है। जी हां, बल्कि इनके शरीर के अंग भी ऐसी सीख देते हैं जिन्हें अगर आपना ला जाए तो जीवन में बहुत से कठिन काम आसान हो सकते हैं। तो चलिए जानते हैं शास्त्रों में वर्णन की गई इनके स्वरूप से जुड़ी खास बातें-

सबसे पहले बात करते हैं गणेश जी की सवारी की। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गणपति बप्पा मूषक यानि चूहे की सवारी करते हैं। देखने में जो बहुत ही छोटे हैं।

हालांकि गणेश भगवान का पेट अधिक विशाल है, बावजूद इसके श्री गणेश जी ने अपने आपको हर कार्य में सिद्ध किया। यही कारण है कि उन्हें सर्वप्रथम पूजनीय कहा जाता है। इसमें मनुष्य को ये सीख मिलती है कि परिस्थिति में अपने अंदर कार्य को करने की क्षमता हमेशा बरकरार रखें। जिस व्यक्ति में ये जजबा होता है वो अपने जीवन के हर कार्य में सफल होता है।

अगर आप ने भगवान गणेश के चित्रों या प्रतिमाओं को कभी ध्यान से देखा होगा कि इनके कान अधिक बड़े होते हैं। अघर धार्मिक शास्त्रों की मानें तो इससे भी सीख मिलती है। कहा जा है गणेश भगवान के लंबे कान ये सीख देते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को हर किसी की बात पूरे ध्यान पूर्वक सुननी चाहिए। यानि हमें एक अच्छा श्रोता बनकर अच्छी बातों का ग्रहण करना चाहिए। इससे जीवन में बहुत लाभ प्राप्त होता है।

इसके अलावा गणपति की आंखें प्रत्येक व्यक्ति को ये सीख देती हैं कि मनुष्य को हर तरह की स्थिति पर सूक्ष्म दृष्टि रखनी चाहिए। कहने का अर्थ है कि प्रत्येक कार्य में दूरदर्शी होना चाहिए। शास्त्रों में शिव पुत्र गणेश जी की आंखों को दूरदर्शिता का प्रतीक माना जाता है।


आखिर में आती हैं उनके गजमुख की। कहा जाता है कि भगवान गणेश गजमुख हैं और उनका माथा अधिक विशाल है, जिससे बुद्धि का प्रतीक कहा जाता है। जिससे मानव को गणेश जी से बुद्धि के साथ-साथ प्रत्येक कार्य को करने की सीख मिलती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बुद्धि की मदद से ही हर कार्य संपन्न करना चाहिए, बुद्धि से किया हर काम सफलता दिलवाता है।   

 

Jyoti

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