Ganesh Chaturthi 2020: चंद्रमा ने किया बप्पा का उपहास तो...

Wednesday, Aug 19, 2020 - 01:36 PM (IST)

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यूं तो हर मास के चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। मगर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को पड़ने वाली विनायक चतुर्थी का अधिक महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। जिसके उपलक्ष्य में इस दिन को बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। बता दें इस बार ये चतुर्थी 22 अगस्त को मनाई जाएगी, जिसे गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि इस बार बप्पा के जन्मोत्सव का ये शुभ अवसर धूम धाम से नहीं मनाया जाएगा। क्योंकि दुनिया भर में इस समय कोरोना महामारी अपना कहर बरसाए हुए हैंं।

मान्यताओं के अनुसार इस दिन लोग अपने घर में बप्पा को विराजमान करते हैं और पूरे दस दिनों तक गणपित बप्पा की पूजा अर्चना कि जाती है और 11वें दिन गणेश जी को विसर्जित करके उनसे अगले बरस जल्दी आने की प्रार्थना की जाती है। मगर इस दिन को लेकर एक खास मान्यता है जिसे लेकर सब के मन में एक बैठा रहता है। जी हां, आप सही सोच रहे हैं हम बात कर रहे हैं इस दिन से संबंधित चंद्रमा को न देखने की परंपरा के बारे में। इस दिन को लेकर लोगों ने इस पर अपने अलग-अलग मत बनाए हैं, मगर इससे जुड़ा असल कारण क्या है। क्या इस बारे में जानने की कोशिश की है? अगर हां तो क्या आपको इसका जवाब मिला है?

अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करना क्यों वर्जित माना जाता है। दरअसल इस दिन से संबंधित मान्यता ये भी है कि इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति पर झूठा चोरी का आरोप लग सकता है। इसके अलावा इससे एक और पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जानिए कि गणेश चतुर्थी के दिन क्यों नहीं करने चाहिए चंद्रमा के दर्शन।

चतुर्थी पर क्यों नहीं किए जाते चंद्रमा के दर्शन
प्रचलित कथाओं के अनुसार एक बार रात में गणेश जी अपने मूषक पर सवार होकर खेल रहे थे कि अचानक मूषकराज को सर्प दिखा जिसे देखकर वे भय के मारे उछल पड़े। गणेश जी उनकी पीठ पर सवार थे, उनके उछलने से वे भूमि पर जा गिरे। 

गणेश जी ने जल्दी से उठकर देखा कि कहीं कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है। परंतु क्योंकि रात का समय था इसलिए उन्हें किसी ने नहीं देखा ऐसा उन्हें प्रतीत हुआ। मगर तभी अचानक से अचानक किसी के जोर से हंसने की आवाज आई। यह आवाज किसी और की नहीं बल्कि 16 कलाओं से परिपूर्ण कहे जाने वाले चंद्रदेव की थी। 


उन्होंने बप्पा का उपहास उड़ाते हुए कहा कि छोटा सा कद, और गज का मुख। अपने बारे में ऐसा उपहास सुनकर गणेश जी को क्रोध आ गया कि गणेश जी की सहायता करने के बजाए चंद्रदेव ने उनके स्वरुप का उपहास बनाया।

जिसके बाद गणपति बप्पा ने क्रोध वश गणेश जी ने कहा कि जिस सुंदरता के अभिमान के कारण आप मेरा उपहास उड़ा रहे हो, आपकी वह सुंदरता नष्ट हो जाएगी। 

कथाओं के अनुसार जैसे गणेश जी ने उन्हें श्राप दिया वैसे ही उनका रंग काला पड़ गया । जिससे समस्त संसार में अंधेरा हो गया।

कहा जाता है इसके बाद सभी देवों ने गणेश जी को समझाया और चंद्रदेव ने उनसे क्षमा मांगी। तब शांत होने के बाद गणेश जी ने कहा कि “मैं  अपना  श्राप तो वापस नहीं ले सकता मगर माह में एक बार आप पूर्ण रूप से काले रहेंगे  और फिर धीर-धीरे प्रतिदिन इनका आकार बड़ा होता जाएगा। जिसके बाद आप एक बार अपने पूर्ण रुप में दिखाई देंगे।

ऐसी मान्यता है कि तभी से चंद्रमा घटता-बढ़ता है। बता दें यह दिन चतुर्थी का दिन था। साथ ही साथ गणेश जी ने ये भी कहा कि कहा कि मेरे वरदान के कारण आप दिखाई तो अवश्य देंगे, मगर इस दिन अगर कोई आपके दर्शन करेगा तो उसे अशुभ फल की प्राप्ति होगी। तो उम्मीद करते हैं आप जान चुके होंगे कि चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन वर्जित क्यों है।

 

Jyoti

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