Ganesh Chaturthi: पार्वती नंदन को करना है प्रसन्न, तो 10 दिनों तक इस तरह करें बप्पा की सेवा

Saturday, Sep 16, 2023 - 07:34 AM (IST)

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Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी का पर्व हर वर्ष बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से इसकी शुरुआत होती है और अनंत चतुर्दशी पर इसका समापन। 10 दिनों तक चलने वाला ये त्योहार भक्तों के घर में बहुत सारी खुशियां लेकर आता है। जो व्यक्ति इन दस दिनों के बीच विधिपूर्वक बप्पा की पूजा करता है, पार्वती नंदन उसका घर खुशियों से भर देते हैं। ये भी कहा जाता है इन दिनों स्वयं गणेश जी धरती लोक पर आकर अपने भक्तों के घर विराजते हैं। अगर आप भी चाहते हैं कि गणेश जी अपनी खास कृपा बनाए रखें तो इस तरह करें 10 दिनों तक बप्पा की पूजा।

पहला दिन: गणेश जी का स्वागत, मूर्ति स्थापना
गणेश चतुर्थी के पहले दिन शुरुआत मूर्ति स्थापना से होती है। अलग-अलग तरह की गणेश जी की मूर्तियों से पूरा बाजार सज जाता है। इस दिन भक्तजन गणेश जी का अपने घर में स्वागत करते हैं और उन्हें घर में स्थान देते हैं।



दूसरा दिन: महोत्सव का आवश्यक दिन
गणेश उत्सव का दूसरा दिन चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। ये दिन बहुत ही खास होता है।

तीसरा दिन: गणेश जी की आरती
गणेश उत्सव के तीसरे दिन भक्तजन पूरे तन और मन के साथ पार्वती नंदन की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। किसी-किसी जगह तो अनुष्ठान करने का भी रिवाज है।

चौथा दिन: पूजा और प्रसाद वितरण
बप्पा की आरती के बाद चौथे दिन लंबोदर को उनका प्रिय भोग लगाया जाता है। इसके साथ इस दिन आरती, भजन का आयोजन भी करते हैं।

पांचवां दिन: षोडशोपचार पूजा
गणेश उत्सव का पांचवां दिन बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।  इस दिन षोडशोपचार पूजा की जाती है। सोलह उपचारों से की जाने वाली पूजा को षोडशोपचार पूजा कहा जाता है।

छठा दिन: षष्ठी
गणेश उत्सव के छठे दिन को षष्ठी कहते हैं। इस दिन बप्पा के भक्त विशेष तौर पर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। इसी के साथ छठे दिन दान-पुण्य का भी काफी महत्व होता है।

सातवां दिन: सप्तपदी
सातवें दिन गणेश जी के भक्त सप्तपदी की क्रिया करते हैं।



आठवां दिन: अष्टमी
गणेश उत्सव के आठवें दिन को अष्टमी के रूप में जाना जाता है। आरती के बाद विशेष भोग के साथ बप्पा को प्रसाद चढ़ाया जाता है।

नौवां दिन: नवपत्रिका पूजा
गणेश उत्सव के नौवें दिन नवपत्रिका पूजा की जाती है।

दसवां दिन: गणेश विसर्जन
ये गणेश उत्सव का दसवां और आखिरी दिन होता है। ये दिन बप्पा के भक्तों के लिए बहुत मुश्किल होता है क्योंकि दसवें दिन मूर्ति का विसर्जन किया जाता है और विघ्नहर्ता को विदाई दी जाती है।

 

Niyati Bhandari

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