Ganesh Chaturthi 2020: ये हैं गणेश जी से जुड़ी कथाएं, आप भी पढ़ें

Thursday, Aug 20, 2020 - 08:42 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ganesh Chaturthi 2020: कलिकाल के जीवों पर त्रिलोकी नाथ भगवान भोले शंकर की असीम कृपा है। तभी तो वह भोले शंकर कहलाते हैं। इसलिए कलिकाल के जीवों के दुखों को शीघ्र से शीघ्र दूर करने के लिए उन्होंने भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तीर्थ को मध्याहन के समीप विघ्न विनाशक भगवान श्री गणेश शिव और शक्ति के साकार रूप की रचना की। अति अद्भुत माया रची। भोले बाबा ने गणपति उत्पत्ति के समय माता पार्वती के मन में अपने शरीर के मैल से पुतला बनाकर उसे अपना प्रहरी बना देने की प्रेरणा डाली। फिर उस प्रहरी बालक द्वारा शिवजी को गौरां से न मिलने देने पर शिव जी ने क्रुद्ध होकर उससे वर्षों तक युद्ध किया। युद्ध में बालक को परास्त करने के लिए अपने ही त्रिशूल से शिव द्वारा बालक का वध और बालक को भगवान भोले भंडारी शिव जी द्वारा दंडित करने पर पार्वती जी क्रोधित होकर श्राप देने को उद्यत होने पर बालक को पुनर्जीवित करने के लिए एक हाथी के कटे हुए सिर को उस मायावी बालक के धड़ के ऊपर पुन: स्थापित कर पार्वती जी के कोप से बचने के लिए कह दिया- लो पार्वती तुम्हारा प्रहरी पुत्र पुन: जीवित हो गया।


‘‘क्या ऐसी है हमारी संतान त्रिलोकी नाथ?’’ पार्वती जी ने कहा।

भोले शंकर बोले, ‘‘हे उमा तुम इस स्थूलकाय बड़े पेट, लम्बे कान, लम्बी नाक वाले ठिगने कद और छोटी-छोटी आंखों वाले को देखकर शोक मत करो। यह कोई साधारण शरीरधारी जीव अथवा देवता नहीं। यह सृष्टि में सर्वप्रथम वंदनीय, देवों का देव उत्पात नाशक, सर्वविघ्न हरण, विनायक सर्वसिद्धिदायक, शीघ्र प्रसन्न देव, विलक्षण बुद्धि सहित चिरंजीवी देव वक्रतुंड, हेरम्ब, लम्बोदार इत्यादि 1008 नामों द्वारा आराधित देव सर्वज्ञ, सर्वप्रथम पूजनीय होगा। हे गौरी यह मत भूलना कि यह मेरा ही सात्विक अंश है। कोई भी मांगलिक कार्य संसार में इसकी सर्वप्रथम स्तुति पूजन अर्चना के बिना सम्पन्न नहीं होगा।’’


लम्बकर्ण (लम्बे कान) अधिक से अधिक सुनना, ज्ञान, श्रवण करना, उसके उपरांत ही मनन कर विचार कर बोलने का संदेश देते हैं। लम्बी नाक जीवन में सदैव गर्व से जीने, प्रत्येक पग सूंघ-सूंघ कर विचर कर  चलने, सावधानी पूर्वक जीवनयापन करने के द्योतक हैं।


हर श्वास (सांस) प्रभु सिमरन करते, ईश्वर को सदैव प्रत्येक सांस पर स्मरण रखने का संदेश देती है, छोटी झुकी आंखें नम्रता, सहजता, दूरदर्शिता पर बल देती हैं। बड़ा पेट सहनशीलता, सहिष्णुता, संतोष का प्रतीक है। उठा हुआ दायां हाथ सब जीवों पर सदैव देवकृपा के साथ-साथ जीवों को भी सदा छोटों पर कृपालु, दानी, दयावान, रहने की शिक्षा देता है। शस्त्र धारण किए गणपति जी का हाथ हमारे दुखों के संहार का आश्वासन देने के साथ-साथ हमें अपने शत्रुओं के दमन की प्रेरणा देता है और वे शत्रु हैं काम,  क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार। इनको सदा दबाएं। मोदक लिए हाथ (लड्डू)  मीठा खाओ, मीठा बोलो, प्रिय वचन कहो, किसी का वाणी से मन न दुखाओ का संदेश देता है।

यह अमृत रस युक्त मोदक (लड्डू) देवताओं द्वारा मां पार्वती को ऐसा बुद्धिमान पुत्र की मां होने पर उपहार स्वरूप दिया गया जब गणेश जी ने ब्रह्मांड की परिक्रमा की। पार्वती जी की परिक्रमा करके माता-पिता के चरणों में ही ब्रह्मांड एवं सभी देवी-देवताओं का निवास स्थान करने के भाव व्यक्त किए। तब मां ने देवताओं द्वारा प्रदत्त यह लड्डू गणेश जी को दे दिया।

Niyati Bhandari

Advertising