सावन के प्रथम सोमवार गैवीनाथ धाम में उमड़ा भक्तों का जन सैलाब

Monday, Jul 18, 2022 - 04:21 PM (IST)

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गैवी के मिट्टी के चूल्हे से शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे महादेव
महाकाल के उपलिंग के नाम से भी जाने जाते हैं गैवीनाथ बाबा 
मध्याप्रदेश, सतना: श्रावण मास की शुरुआत के पहले सोमवार को सतना जिले के बिरसिंहपुर स्थित गैवीनाथ धाम में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। पंजाब केसरी के संवाददाता रवि शंकर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार शिवलिंग कर जलाभिषेक और पुष्पार्पण के लिए भक्तों में होड़ लगी रही। बता दें कि गैवीनाथ धाम पर लाखों लाख श्रद्धालुओं की आस्था है।

यहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भोलेनाथ यहां मिट्टी के चूल्हे से शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे। बताया जाता है कि 16 वीं शताब्दी में औरंगजेब ने इस शिवलिंग पर कई वार किए थे तब भोलेनाथ ने उसको न केवल सबक सिखाया, बल्कि घुटने टेकने पर भी मज़बूर कर दिया था। बता दें यहां प्रत्येक सोमवार गैवीनाथ के अभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की अटूट भीड़ उमड़ती है, मगर महाशिवरात्रि और श्रावण मास का मेला देखते ही बनता है। 

उत्तराखंड के चारों धाम की यात्रा के बाद गंगोत्री के जल को गैवीनाथ शिवलिंग पर चढ़ाने का विशेष महत्व है। प्रचलित किवदंती के अनुसार प्राचीन समय में यहां देवपुर नामक नगरी हुआ करती थी। जिसके राजा थे वीरसिंह। राजा वीर सिंह उज्जैन महाकाल के अनन्य भक्त थे। वह रोजाना यहां से उज्जैन जाकर महाकाल के दर्शन करते थे। जब राजा वृद्ध हो गए तो वो उज्जैन जाने में असमर्थ रहने लगे।

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इस पर उन्होंने महाकाल से बिरसिंहपुर आने की प्रार्थना की। महाकाल उनकी भक्ति से इतने अभिभूत हुए कि वो बिरसिंहपुर में गैवीनाथ के घर शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए। वर्तमान समय में गैवीनाथ धाम अटूट श्रद्धा का केंद्र है। लोग बड़ी संख्या में यहां मनौती लेकर आते हैं। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु शिव और पार्वती का गठबंधन करते हैं। एक छोर से दूसरे छोर तक विशाल तालाब के ऊपर से शंकर-पार्वती का गठबंधन किया जाता है। सावन में यहां भक्तों का रेला उमड़ पड़ता है शिवलिंग पर जल और बिल्वपत्र चढ़ाने के लिए लोगों में होड़ मची दिखाई देती है। 

Jyoti

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