ए से लेकर डी अक्षर तक आरंभ होता है जिनका नाम, जानें वो अपना भविष्य ज्ञान

Wednesday, Jan 10, 2018 - 12:53 PM (IST)

यदि आप कल्पना भी करें कि अक्षरों के बिना आप अपनी कोई बात कह सकें, बता सकें या समझा सकें तो आप स्वयं को असफल पाएंगे क्योंकि बिना अक्षर के कोई बात कहना असंभव है। अक्षरों से शब्द और शब्दों से वाक्य बनते हैं। शब्दों के ही अर्थ होते हैं। किसी एक अक्षर का क्या महत्व लेकिन अंक विज्ञान में एक ही अक्षर को भी महत्व दिया गया है। अक्षरों का कितना महत्व है, इस बात का ज्ञान तो आपको हो ही गया होगा। व्यक्ति के नाम से राशि निकाल कर फलादेश करना भारत में ही प्रचलित हो, ऐसी बात नहीं। नाम के अक्षरों से व्यक्ति के स्वभाव आदि का विश्लेषण पाश्चात्य विद्वान भी करते हैं। अत: नाम के अक्षरों का महत्व जान लेना बहुत आवश्यक है। प्राय: सभी धर्मों व देशों में नाम का महत्व है। नाम के महत्व के कारण ही अनेक राजघरानों एवं धनी परिवारों के अतिरिक्त अनेक सामान्यजन भी पीढिय़ों तक प्राय: एक ही नाम से काम चलाते रहते हैं। उसी प्रचलित नाम के आगे या तो जूनियर, सीनियर या प्रथम, द्वितीय आदि लगा देते हैं।


इंगलैंड के राजघराने में जार्ज या एडवर्ड चले आ रहे हैं। फ्रांस में लुई, हैनरी आदि नाम चलते रहे हैं।  हमारे देश में भी चंद्रगुप्त, हर्षवर्धन और विक्रमादित्य आदि नामों का प्रचलन रहा। नाम के महत्व के कारण ही यह सब चलता रहा। आइए, अब आपको अंग्रेजी वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर के रहस्य की जानकारी से अवगत कराएं। इससे आपको ज्ञात होगा कि आपके नाम के अक्षरों में क्या रहस्य छिपा पड़ा है। ऐसे अनेक विद्वान आज भी विद्यमान हैं जो किसी व्यक्ति के सम्पूर्ण नाम तो क्या, नाम के केवल प्रथम अक्षर से ही उसके स्वभाव का कच्चा चिट्ठा खोलकर सामने रख देते हैं।


‘ए’ अक्षर की अंक संख्या एक है   
(ए)- अंग्रेजी वर्णमाला का यह प्रथम अक्षर व्यक्ति के श्रेष्ठ गुणों का द्योतक है। जिन व्यक्तियों के नाम का प्रथम अक्षर ‘ए’ होगा, वे निश्चय ही अच्छे विचार वाले होंगे। उनके अनेक सद्गुण होंगे। ये लोग भावना प्रधान होते हैं। भावनाओं का जाल इन पर सदा छाया रहता है। ऐसे व्यक्ति रचनात्मक प्रवृत्ति के होते हैं, विध्वंसात्मक विचारों के नहीं। इनकी इच्छा सदा यही रहती है कि ये दूसरों के सुख-दुख में हिस्सा लें। भावना प्रधान करने के कारण ऐसे व्यक्ति अपने ही विचारों में खोए-खोए से रहते हैं परंतु इनकी इच्छा सदा यही रहती है कि धरती अधिक सुंदर एवं प्रेम और माधुर्य से परिपूर्ण हो।


‘बी’ अक्षर की अंक संख्या ‘दो’ है
क्च(बी) : अंग्रेजी वर्णमाला का यह दूसरा अक्षर विचारों को अपने अंदर समेटे रहने का प्रतीक है। जिन व्यक्तियों के नाम का प्रथम अक्षर ‘बी’ होगा वे प्राय: अंतर्मुखी होंगे। ऐसे व्यक्ति बेकार के वाद-विवाद में कभी नहीं पड़ते तथा अपनी भावनाओं के अनुरूप अपने कामों में ही लगे रहते हैं। इनके मित्र बहुत कम होते हैं तथा जान-पहचान का क्षेत्र भी व्यापक नहीं होता तथा जितने जान-पहचान के व्यक्ति इनके सीमित दायरे में होते हैं, उनमें से भी बहुत कम लोगों पर ही वे विश्वास करते हैं। ऐसे व्यक्ति हरदम सतर्क रहते हैं और अपने स्वार्थ की अवहेलना नहीं होने देते। अधिकारियों अथवा अपरिचितों से मिलने में ऐसे व्यक्ति प्राय: घबराते हैं। इसका अर्थ यह है कि उनमें आत्महीनता की भावना रहती है, संकोच रहता है, इसीलिए ये किसी से खुल कर अपने दिल की बात नहीं कर सकते।


‘सी’ अक्षर की अंक संख्या ‘तीन’  है
ष्ट(सी) : अंग्रेजी वर्णमाला का यह तीसरा ‘मूड’ का द्योतक है जिन व्यक्तियों के नाम का प्रथम अक्षर ‘सी’ होता है, यदि उनके मन में कोई बात घर कर गई तो वह उस बात को अवश्य ही पूरा करके छोड़ेंगे। चाहे उसमें कितना ही समय लग जाए अथवा व्यय हो जाए पर एक बार बनाए गए विचार उनके लिए पत्थर की लकीर बन जाते हैं। उन्हें बदलना बहुत कठिन होता है। ऐसे व्यक्तियों के मस्तिष्क में हर समय कोई न कोई योजना घूमती रहती है। वे हर समय कुछ न कुछ  सोचते रहते हैं। इसके साथ ही ऐसे व्यक्ति आगे आने वाली घटनाओं को भी जान सकने में समर्थ होते हैं तथा उनकी दूरदर्शिता की यह भावना भविष्य में प्राय: सही बैठती है।


‘डी’ अक्षर की अंक संख्या ‘चार’ है 
ष्ठ(डी) : अंग्रेजी वर्णमाला का यह चौथा अक्षर आत्मविश्वास और आत्मनियंत्रण का परिचय देता है। जिन व्यक्तियों के नाम का प्रथम अक्षर ‘डी’ होता है, वे जिस काम में भी हाथ डालते हैं, उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। समय उनके अनुकूल न हो तो भी ऐसे व्यक्ति न तो घबराते हैं और न ही इस कार्य से विमुख होते हैं। निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना उनका स्वभाव होता है। ऐसे व्यक्ति बातें बहुत कम करते हैं परंतु जो कुछ भी बोलते हैं, उसमें अधिकता का पुट होता है। उनकी बातों से भी आत्मविश्वास झलकता है। ऐसे  ही व्यक्ति सफल प्रशासक, नेता तथा अन्य व्यक्तियों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होते हैं। अपने मान-सम्मान के प्रति भी ऐसे व्यक्ति पूर्ण जागरूक रहते हैं, पर जहां उन्हें अपनी प्रतिष्ठा का ध्यान रहता है, वहीं वे किसी अन्य के सम्मान को भी ठेस नहीं पहुंचाते। ऐसे व्यक्ति न तो किसी का अपमान करते हैं और न ही अपना अपमान सहन कर सकते हैं।
 

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