Foreign Astrology- जानें, कब पूरा होगा विदेश जाने या बसने का सपना

Wednesday, Mar 10, 2021 - 08:17 AM (IST)

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Foreign travel and Foreign settlement in astrology- प्राय: व्यक्ति के मन में विदेश यात्रा की लालसा रहती है। वह सोचता रहता है कि विदेश यात्रा होगी या नहीं, यदि होगी तो कब होगी और कितनी लम्बी होगी। क्या मैं अपने परिवार सहित विदेश यात्रा पर जाऊंगा अथवा अकेला ही भ्रमण कर आऊंगा। आपके भाग्य में विदेश यात्रा है अथवा नहीं, इसका अनुमान आप अपनी जन्म पत्रिका के अध्ययन से लगा सकते हैं।

Can you predict foreign settlement in horoscope- विदेश यात्रा से संबंधित अध्ययन नवम भाव से किया जाता है। नवम भाव विदेश यात्रा, पिता का सुख, ख्याति, नेतृत्व क्षमता कर्तव्य-निष्ठा, भाग्योन्नति व अवनति, धर्म यात्रा, ऐश्वर्य आदि का अध्ययन किया जाता है। विदेश यात्रा व विदेश प्रवास के लिए अष्टम भाव भी महत्व रखता है। इसके लिए हमें देखना चाहिए नवम भाव की राशि, नवमेश की स्थिति, नवम भाव में बैठे ग्रह, नवम भाव व नवमेश पर पाप ग्रहों की स्थिति कारक-अकारक ग्रह महादशा।

Foreign settlement in astrology- यदि नवम भाव में सूर्य या बृहस्पति उच्च राशि होकर बैठे हो, नवमेश केंद्र या त्रिकोण में हो तो निश्चित रूप से विदेश यात्रा होती है। नवमेश स्थित राशि की दिशा में यात्रा होती है। नेपच्यून व केतु बली होने पर जल सेना की सेवा करते हुए विदेश यात्रा होती है। यदि व्यवेश की नवम भाव या नवमेश पर दृष्टि हो तो जातक व्यक्तिगत रूप से विदेश जाता है।

What is foreign settlement astrology- नवमेश सप्तम भाव में उच्च का होकर बैठा हो तो विवाह के पश्चात जातक विदेश यात्रा करता है। लग्नेश व भाग्येश मित्र राशि के होकर केंद्र त्रिकोण में हों तो भी विदेश यात्रा होती है। अष्टमेश आठवें भाव में स्थित हो तो विदेश में निवास होता है। विदेश यात्रा के लिए शुक्र बली होना चाहिए। यदि नवमेश केंद्र में हो, दशमेश अपनी राशि या उच्च का हो तो जातक नौकरी या व्यापार के संबंध में विदेश यात्रा करता है। अष्टमेश केंद्र में या उच्च राशि का हो तो जातक जल यात्राएं करता है। नवम भाव में शनि उच्च का या स्वगृही हो तो भी जातक बहुत विदेश यात्रा करता है।

What is the importance of foreign travel in astrology विदेश यात्रा के योग
लग्नेश तथा सप्तमेश जन्मकुंडली के किसी भी भाव में साथ-साथ हों अथवा उनमें पूर्ण दृष्टि संबंध में हों तो विदेश यात्रा का योग बनता है।

लग्नेश तथा भाग्य भाव का स्वामी भाग्येश, मेष, कर्क, तुला अथवा मकर राशि में हो तो विदेश यात्रा योग बनता है।

भाग्य भाव का स्वामी अपने घर में, अपनी राशि में अथवा अपनी उच्च राशि में बलवान होकर सुखेश से संबंधित हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।

भाग्य भाव का स्वामी अपने घर में, अपनी राशि में अथवा अपनी उच्च राशि में बलवान होकर सुखेश से संबंधित हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।

शुत्रु स्थान, मृत्यु स्थान तथा व्यय स्थान के स्वामी अपने-अपने घरों में हों तो विदेश यात्रा होती है।

शत्रु,मृत्यु अथवा व्यय स्थान में कहीं भी शनि महाराज हों अथवा शनि की दृष्टि इन भावों पर हो तो विदेश गमन होता है।

कर्क, वृष, तुला, मकर अथवा कुंभ राशि का चंद्रमा यदि पत्नी स्थान, भाग्य स्थान या व्यय स्थान में स्थित हो तो लम्बे समय तक विदेश में निवास का योग बनता है।

भाग्य स्थान में सिंह राशि में बैठा राहू तीन रूपों में विदेश यात्रा करवाता है-
सैनिक के रूप में सामरिक यात्रा, राजनेता के रूप में कूटनीतिक यात्रा, उपदेशक के रूप में धार्मिक यात्रा।

व्यय स्थान में मंगल, शनि आदि पाप ग्रह बैठे हों तो विदेश यात्रा का योग बनता है।

लग्नेश तथा भाग्येश अपने-अपने घरों में हों अथवा उनमें स्थान परिवर्तन योग बन रहा हो तो विदेश यात्रा होती है।

अष्टम भाव में कर्क राशि का चंद्रमा अनेकानेक विदेश यात्राएं करवाता है।

मेष लग्न में अष्टम भाव में बैठा शनि जातक को अपने वतन से दूर ले जाता है। बार-बार विदेश यात्राएं करवाता है।

सुख तथा व्यय स्थान के स्वामी यदि केंद्र स्थान पर खासतौर पर सुख अथवा कर्म स्थान में हो तो जातक विदेश में स्थायी नागरिकता प्राप्त कर लेता है।

लग्न तथा व्यय स्थान के स्वामी कुंडली में किसी भी भाव में साथ-साथ हों तो जातक विदेश यात्रा से यश प्राप्त करता है।

शनि की महादशा में विदेश यात्रा के योग बनते हैं।

शत्रु स्थान में अपनी राशि में बैठा अथवा व्यय स्थान में शनि की राशि में बैठा शुक्र विदेश यात्रा योग बनाता है।

भाग्य स्थान अथवा तृतीय स्थान में मंगल के साथ बैठा राहू जातक को सैनिक के रूप में सामरिक विदेश यात्राएं करवाता है।

इन्हीं स्थानों पर सूर्य के साथ बैठा राहू राजनेता के रूप में कूटनीतिक यात्राएं करवाता है।

 

 

Niyati Bhandari

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