200वीं जयंती आज: ये है आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता लोरेंस नाईटिंगेल के जीवन की झलक

Tuesday, May 12, 2020 - 07:15 AM (IST)

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आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता या संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 200 वर्ष पूर्व हुआ था। 19वीं शताब्दी में घायलों की देखभाल तथा नर्सों को प्रशिक्षण के प्रति उनके दृष्टिकोण के कारण अनगिनत जिंदगियां बचाई जा सकीं तथी उनमें सुधार लाया जा सका। आज, जब विश्व भर के देश कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के तरीके ढूंढने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, स्वास्थ्य सेवा तथा स्वच्छता को लेकर उनके विचार आज उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने तब थे।



फ्लोरेंस का जन्म इटली के फ्लोरेंस में 12 मई, 1820 को एक सम्पन्न अंग्रेजी परिवार में हुआ था और उनका नाम शहर के नाम पर ही रखा गया था। आधुनिक काल के इस्तांबुल स्थित स्कुतारी अस्पताल, जहां उन्होंने क्रीमियन युद्ध, जिसमें ब्रिटिश, फ्रैंच तथा ओट्टोमन सेनाओं ने रूसी साम्राज्य से लड़ाई लड़ी, में घायल सैनिकों का उपचार किया, में नर्सिंग सेवा के लिए नई खोजों के कारण वह प्रसिद्ध हो गईं।

प्रत्येक रात वह शिविरों का चक्कर लगातीं, एक-एक सैनिक की जांच करतीं और इसी प्रथा के कारण उन्हें एक उपनाम मिला-‘लेडी विद द लैम्प’। बोस्फोरस के एशियाई तट पर बैरकों में बनाए गए एक गंदे अस्पताल में उन्होंने हजारों सैनिकों को घावों की बजाय संक्रामक बीमारियों से मरते देखा, जिससे उन्हें स्थितियों में सुधार करने का प्रयास करने की प्रेरणा मिली।


बचपन में उन्होंने गणित तथा विज्ञान में श्रेष्ठता साबित की तथा एक नए शिक्षण सत्र की बजाय उनके पिता ने  एक प्रमुख सांख्यिकीविद से उनका परिचय करवाया। क्रीमियन युद्ध के दौरान तथा उसके बाद नाइटिंगेल ने विभिन्न उपायों को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए आंकड़ों का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपने प्रसिद्ध ‘रोज’ रेखाचित्र बनाए, जिनमें घावों की बजाय बीमारियों से बड़ी संख्या में सैनिकों की मौतों को दर्शाया गया था। उनके इस काम के परिणामस्वरूप, 1858 में वह पहली ऐसी महिला बन गईं, जिसे लंदन स्टैटिस्टीकल सोसाइटी में शामिल किया गया।

1910 में जब 90 वर्ष का आयु में फ्लोरेंस नाइटिंगेल का निधन हुआ, तब तक स्वास्थ्य सेवाओं में एक क्रांति आ चुकी थी।



मॉडर्न नर्सिंग की संस्थापक स्वच्छता के महत्व पर जोर देने वाली अग्रदूत ही नहीं थीं, स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने वाले उनके सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

12 मई, 1820 : इटली के शहर फ्लोरेंस में धनाढ्य अंग्रेज परिवार में जन्मी, शहर का नाम दिया गया

1821 : परिवार इंगलैंड लौटा, पढ़ाई घर पर हुई, फ्लोरेंस गणित तथा
विज्ञान में मेधावी थीं

1837 : ईश्वर की आवाज पर दूसरों की सेवा के लिए जीवन समर्पित करने की ठानी

1849 : विवाह प्रस्ताव ठुकराया, उनका विश्वास था कि उन्हें तो कुछ और ही करना है

1850-51 : परिवार के विरोध के बावजूद जर्मनी के एक धार्मिक संस्थान में नर्सिंग की ट्रेनिंग शुरू की

1853 : लंदन के ‘इंस्टीच्यूट फॉर द केयर ऑफ सिक जैंटलवूमन’ में सुप्रिंटैंडैंट बनीं

1853 : तुर्की के ओट्टोमन साम्राज्य-फ्रांस-ब्रिटेन गणबंधन और रूस के बीच क्रीमियन युद्ध शुरू हुआ



स्कुतारी (अब इंस्ताम्बुल का उस्कुदर) में स्थापित सैन्य अस्पताल की बेहाली पर प्रथम आधुनिक युद्ध पत्रकार विलियम हॉवर्ड रसल की खबर ‘द टाइम्स ऑफ लंदन’ में प्रकाशित हुई।

अक्तूबर, 1854 : जनता के आक्रोश को देखते हुए युद्ध राज्यमंत्री सिडनी हर्बर्ट ने 38 नर्सों को स्कुतारी ले जाने के लिए नाइटिंगेल की नियुक्ति की

1854-55 : सेलिमिये बैरेकों में नाइटिंगेल ने घायल सैनिकों के लिए बड़े सुधार किए परंतु मौतों की गिनती बढ़ती गई

लालटेन लिए सिपाहियों की सुध लेते उनके चित्र (लेडी विद द लैम्प) ने जनता का दिल जीत लिया और वह प्रसिद्ध हो गईं

1855 : बैरेकों के गटर के ऊपर बने होने का पता लगने के बाद सफाई बढ़ाई गई जिससे मौतों की गिनती काफी कम हो गई

1856 : क्रीमियन युद्ध का अंत होने पर नाइटिंगेल अत्यधिक थकान तथा बुरी सेहत के साथ इंगलैंड लौटीं

1858 : क्वीन विक्टोरिया के सहयोग से नाइटिंगेल ने सेना की सेहत सुधारने के लिए रॉयल कमिशन की स्थापना की। उनके सांख्यकीय आंकड़ों की वजह से क्रांतिकारी सुधार हुए

नाइटिंगेल ने दृश्य आंकड़ों (डाटा विज्युलाइजेशन) की मदद से दिखाया कि युद्ध में घावों (लाल रंग) की तुलना में बीमारियों (नीले रंग) की वजह से अधिक मौतें हो रही थीं

1859 : लोगों को बीमार घरवालों की सही देखरेख सिखाने के लिए नोट्स ऑन नर्सिंग लिखी।

1860 : लंदन के सेंट थॉमस हॉस्पिटल में नर्सिंग स्कूल स्थापित किया

1862 : किंग्स कॉलेज हॉस्पिटल में मिडवाइव्स के लिए स्कूल की स्थापना

1880 का दशक : भारत में बेहतर चिकित्सा तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अभियान चलाए

1907 : अतिविशिष्ट सेवा के लिए ‘ऑर्डर ऑफ मैरिट’ प्राप्त करने वाली प्रथम महिला

Niyati Bhandari

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