मानो या न मानो- शनि पुत्र बनकर घर में करते हैं प्रवेश और फिर ?

Wednesday, Mar 03, 2021 - 07:03 AM (IST)

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Father Son Relationship seen in horoscopes- पुत्र रत्न की प्राप्ति सभी देशों, समुदायों और परिवारों में एक उत्सव की भांति होती है। गृहस्थ जीवन की सर्वोपरि उपलब्धि पुत्र प्राप्ति में निहित है। कन्या संतति को दूसरों की धरोहर के रूप में स्वीकार किया जाता है।

When a child is born in a family- कभी-कभी पुत्र के जन्म के साथ ही माता-पिता पर अनेक विपत्तियां आनी शुरू हो जाती हैं। माता का जीवन प्रसव काल में कई बार संकटपूर्ण हो जाता है और कभी-कभी माता की जीवन लीला समाप्त हो जाती है। तब पिता को सारी जिम्मेदारी निभाते हुए कष्टपूर्ण जीवन बिताना पड़ सकता है।

Parent Child Compatibility Astrology- पुत्र बीमार हो जाए, तो उसके इलाज में धन और समय नष्ट होता है। बड़े होने पर पिता-पुत्र में विरोध बढ़ जाता है पुत्र प्राप्ति के साथ ही पिता की तरक्की, आय के स्रोत मिट जाते हैं। कभी-कभी पुत्र के विलक्षण कार्यों के कारण पिता की सामाजिक प्रतिष्ठा नष्ट हो जाती है तथा पिता आत्महत्या या गृहत्याग के निर्णय लेने को बाध्य हो जाते हैं।

What is the relationship between Sun and Saturn- शनि को सूर्य का पुत्र कहते हैं। दोनों में नैसर्गिक शत्रुता है। शनि ग्रह जन्मपत्रिका में बैठकर अपनी तृतीय, सप्तम एवं दशम दृष्टि से देखता है। यदि नवम-दशम भावाधिपति अथवा भाव शनि से पीड़ित है, सूर्य की राशि में शनि अथवा शनि की राशि में सूर्य है, तो पिता-पुत्र का संबंध किसी न किसी रूप में प्रभावित हो ही जाता है।

मेष लग्न हो, पंचम भाव में सूर्य-शनि की युति हो तो पुत्र जन्म के साथ ही आर्थिक संकट आने लगते हैं, अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है। कभी-कभी अच्छे व्यवसायियों के लिए दिवालिया होने की प्रबल संभावना बनती देखी गई है।

मेष लग्न में सूर्य तृतीय स्थान में, शनि सप्तम स्थान में होने पर (पुत्र की कुंडली) पिता को कार्य-व्यापार में हानि होती है, परिवार में आर्थिक संकट आते हैं। नवम भाव पर दोनों की दृष्टि हो तो पिता की अवनति से परेशानी होती है।

वृष लग्न है। तृतीय भाव में सूर्य-शनि की युति है। (पुत्र की कुंडली)। बालक के जन्म के बाद पिता के लिए आर्थिक संकट आ जाता है। नौकरी/धंधा खत्म हो जाता है तथा काफी संघर्षमय, अपमानित जीवन व्यतीत करना पड़ता है।

वृश्चिक लग्न हो, एकादश भाव में सूर्य-शनि हो तो बालक के गर्भ में आने के साथ ही पिता की बर्बादी के योग शुरू होने लगते हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा समाप्त हो जाती है।

पुत्र का जन्म लग्र धनु लग्र है। सूर्य शनि लग्र में हो तो पिता-पुत्र को साथ नहीं रहना चाहिए। पिता को कोई हानि नहीं है परन्तु पुत्र को आर्थिक परेशानियां रहेंगी तथा विवादास्पद स्थितियां बन सकती हैं।

कुंभ लग्र में जन्म हो, सूर्य तृतीय भाव में शनि मिथुन का एवं शनि उच्च राशि तुला में हो, तो पिता को सामाजिक अपमान तथा आर्थिक संकट से गुजरना पड़ता है तथा कभी-तभी अपना घर, व्यवसाय का स्थान, नगर भी छोड़ना पड़ता है।

सूर्य-शनि में षडाष्टक संबंध भी पिता-पुत्र के संबंधों को प्रभावित करता है।

कर्क लग्र में सूर्य सप्तम भाव में तथा शनि द्वितीय भाव में होने से षडाष्टक योग बनता है। पिता-पुत्र शत्रुवत रहेंगे। घर-परिवार में अशांति रहेगी, आर्थिक उन्नति में बाधा रहेगी एवं बीमारी पर धन खर्च होगा।

Want to improve father son relationship यदि ऐसे योग हैं तो निम्र उपाय करें :
बच्चे का पालन-पोषण अन्यत्र कहीं करें तथा शिक्षा-दीक्षा में भी स्थान की दूरी बना कर रखना उत्तम होगा। पिता-पुत्र व्यवसाय करते हैं तो साथ-साथ न रहें।

जातक अपना कार्य जन्म स्थान पर न करें तथा पिता-पुत्र अलग-अलग शहरों में रहकर अपना काम करें।

रविवार के दिन बहते पानी में 1 1/4 कलो गुड़ बहाएं।

शनिवार को दरिया में नारियल बहाएं।

मंगलवार और शनिवार शनि मंदिर जाएं और वहां बैठकर हनुमान चालीसा और शनि स्त्रोत का पाठ करें।

 

Niyati Bhandari

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