नागनथैया मेला 2019: कालियानाग के फन पर कान्हा ने बजाई बंसी, झूम उठे भक्त

Friday, Nov 01, 2019 - 05:20 PM (IST)

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काशी में बीते दिन यानि कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी गुरुवार की शाम को वाराणसी के तुलसीघाट पर भगवान श्रीकृष्ण की नागनथैया लीला सजाई गई। श्री कृष्ण की इस लीला में शाम 4:40 बजे प्रभु कदंब की डाल से कूदे और कालिया नाग को नाथकर उसके फन पर नृत्य मुद्रा में बांसुरी बजाते हुए श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। अखाड़ा गोस्वामी की ओर से आयोजित इस आयोजित लीला को देखने के लिए दूर-दूर से हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आए। बताया जाता है भगवान शिव की नगरी काशी में इस अद्भुत नजारे के बाद सुरसरि का तट यमुना में तब्दील हुआ प्रतीत होता है। हर-हर महादेव के जयघोष के साथ बंशीधर नटवर नागर का जयकारा भी गूंजता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार जब कदंब की डाल से गेंद निकालने भगवान श्रीकृष्ण यमुना बनी गंगा में छलांग लगाई। नदी में कालिया नाग को नथने के बाद बंसी बजाते हुए प्रभु श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। गंगा की लहरों पर सजने वाली नटवर नागर की लीला के दर्शन कर भक्त भी निहाल हो उठे।

प्रभु श्रीकृष्ण ने कदंब की डाल से बजे यमुना रूपी गंगा में छलांग लगाई तो तुलसी घाट पर लीला देख रहे श्रद्धालुओं की सांसें मानों थम सी गईं।

दिन ढलने के साथ ही सतरंगी रौशनी से घाट और नदी के तट जगमगा उठे। कहा जाता है काशी में प्रतिवर्ष गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित माने जाने वाली लीला को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। नागनथैया के दौरान भगवान ने एक बार फिर से प्रदूषण के प्रतीक कालिया के फनों को नाथ दिया। प्रदूषण रूपी फुं फकार से यमुना के प्रवाह और गोकुल-वृंदावन की आबोहवा में जहर घोल रहे कालिया का दर्प भंगकर भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया कि भगवान ने जिस तरह से कालिया नाग का मान मर्दन कर यमुना को प्रदूषण से मुक्त किया, उसी तरह गंगा के उद्धार के लिए कदम उठाने की जरूरत है। कालिया नाग के प्रतीक स्वरूप नालों को गंगा में गिरने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।

Jyoti

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