Falgun Vinayak Chaturthi: आज है फाल्गुन माह की विनायक चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
punjabkesari.in Wednesday, Mar 13, 2024 - 12:31 PM (IST)
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Falgun Vinayak Chaturthi 2024: हर महीने चतुर्थी का पर्व शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में 2 बार मनाया जाता है। विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। इस बार फाल्गुन माह की विनायक चतुर्थी आज 13 मार्च को मनाई जा रही है। इस दिन खासतौर पर गणेश जी की आराधना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन गणेश जी की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से हर कष्ट से छुटकारा मिलता है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है। तो आइए जानते हैं, फाल्गुन माह की विनायक चतुर्थी के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में-
Falgun Vinayak Chaturthi 2024 auspicious time फाल्गुन विनायक चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार फाल्गुन विनायक चतुर्थी 13 मार्च 2024 को सुबह 04 बजकर 03 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 14 मार्च 2024 को देर रात 01 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी।
पूजा मुहूर्त - सुबह 11.19 - दोपहर 01.52
वर्जित चंद्र दर्शन - सुबह 08.22 - रात 09.58
Falgun Vinayak Chaturthi significance फाल्गुन विनायक चतुर्थी महत्व
सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी का बहुत महत्व है। इस दिन देवों के देव महादेव के पुत्र गणेश जी की पूजा की जाती है। उन्हें जीवन से सभी बाधाओं को दूर करने के कारण विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। विनायक चतुर्थी वाले दिन पूरे विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करने से वह प्रसन्न होते हैं और उनके द्वार पर आए हुए भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
Falgun Vinayak Chaturthi Puja Method फाल्गुन विनायक चतुर्थी पूजा विधि
चतुर्थी के दिन साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें, संभव हो तो लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें।
फिर घर की अच्छे से साफ-सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करें।
अब गणेश जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और उनको प्रणाम करें।
उनकी पूजा करने के बाद गणेश जी को फूल, धूप, कुमकुम, चंदन और दूर्वा अर्पित करें।
अब गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं और उनकी आरती करें। साथ ही उनके मंत्रों का जाप करें। अंत में सभी को मोदक का प्रसाद बांटें।
Ganesh ji's mantras गणेश जी के मंत्र - गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।
ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात ।।
ॐ वक्रतुण्डेक द्रष्टाय क्लींहीं श्रीं गं गणपतये
वर वरद सर्वजनं मं दशमानय स्वाहा ।।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
अमेयाय च हेरंब परशुधारकाय ते।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः।।
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य कर्त्रेय
सर्व विघ्न प्रशमनाय सर्वाजाय वश्यकर्णाय
सर्वजन सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा..!!