फाल्गुन अमावस्या 2020: इस खास दिन पर जानिए, क्या करें और क्या न ?

Thursday, Feb 20, 2020 - 03:08 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
किसी भी माह में आने वाली अमावस्या तिथि खास मानी जाती है। वहीं फाल्गुन माह में आने वाली अमावस्या तिथि की अपनी अलग पहचान होती है और इस साल ये 23 फरवरी दिन रविवार को पड़ रही है। कहते हैं कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ होता है। इसके साथ ही अमावस्या के दिन पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए दान, तर्पण, श्राद्ध आदि कार्य किए जाते हैं। ठीक इसी तरह इस खास दिन में कुछ खास काम किए जाते हैं तो वहीं कुछ कामों को करने की मनाही की जाती है। 

क्या करें: 
पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीप जलाएं। पितरों का याद करते हुए पेड़ की सात बार परिक्रमा करें।
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रुद्र,अग्नि और ब्राह्मणों का विधि-विधान पूजन करके उन्हें उड़द, दही और पूरी आदि का नैवेद्य अर्पण करें और स्वयं भी इसका सेवन करें। शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पित करें। 
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शास्त्रों में अमावस्या शनि देव का भी दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शनि मंदिर में जाकर शनि महाराज को काले तिल, साबुत उड़द, सरसों का तेल और काला कपड़ा अर्पित करें।

फाल्गुन अमावस्या के दिन सुबह किसी पवित्र नदी में स्नान करें। संगम में स्नान करना बहुत अच्छा माना गया है। गरीबों या जरूरतमंदों को दान देना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर खुश रहते हैं।

आर्थिक समस्या से निजात पाने के लिए फाल्गुन अमावस्या पर शिव को खीर का भोग लगाने की मान्यता है। 

फाल्गुन अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत और उपवास भी किया जाता है। व्रत का पारण जरूरतमंदों को दान के बाद करना शुभ है।

अगर फाल्गुन अमावस्या सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और को पड़े तो यह सूर्यग्रहण से भी अधिक फल प्रदान करने वाला कहा गया है। 

काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए शिव मंदिर में जाकर गाय के कच्चे दूध, दही, शक्कर और शहद से भगवान शिव का अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

क्या न करें
माता-पिता और घर के बड़े बुजुर्ग का अपमान न करें और न किसी से झगड़ा करें।

अगर इस दिन कोई गरीब या जरूरतमंद आ जाए तो उसका अनादर न करें। सम्मान की भावना से देखें। 

Lata

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