पितृ पक्ष 2021: गया में बालू से क्यों किया जाता है पिंडदान?

Saturday, Sep 25, 2021 - 07:54 PM (IST)

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जैसे कि सब जानते हैं कि पितृ पक्ष चल रहा है, इस दौरान विधि विधान से पूर्वजों का श्राद्ध आदि किया जाता है। पिंडदान व श्राद्ध को करने के कई तरह की विधियां हैं। जिनमें से एक है बालू से पित्तरों को पिंडदान करना। दरअसल गया में बालू से पिंडदान संपन्न किया जाता है। परंतु क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों किया जाता है? इससे जुड़ी क्या मान्यताएं? क्या पितृगण बालू ग्रहण करते हैं? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं इस आर्टिकल में गया में बालू से पिंडदान क्यों करते हैं। 

कहा जाता है पिंडदान श्राद्ध के दौरान परलोक को प्राप्त हुए पूर्वजों को धरती पर आकर अपने परिवार से मिलने का अवसर प्राप्त होता है। इस दौरान वह अपनी संतानों व वंशजों से पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से धरती पर पधारते है। मान्यताओं के अनुसार इन दिनों मिले अन्न और जल से पितरों को बल मिलता है और इसी की मदद से वह परलोक के अपने सफर को तय कर पाते हैं कथा इसी शक्ति से वह अपने परिवार के सदस्यों का कल्याण भी करते हैं।

अब जानते हैं गया में बालू से क्यों करते हैं पिंडदान- 
वाल्‍मीक‍ि रामायण में इसे लेकर एक वर्णन म‍िलता जिसके अनुसार, वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्‍मण और माता सीता के साथ पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने के लिए गया धाम पहुंचे तो श्राद्ध के लिए उन्हें कुछ सामग्री चाहिए थी जिसके लिए वे नगर की ओर गए। जिस दौरान आकाशवाणी हुई कि पिंडदान का समय निकला जा रहा है। इसके साथ माता सीता को दशरथ महाराज जी की आत्‍मा के दर्शन हुए, जो उनसे पिंडदान के लिए कह रही थीं। 

जिसके बाद तुरंत माता सीता ने फल्‍गू नदी, वटवृक्ष, केतकी के फूल और गाय को साक्षी मानकर बालू का पिंड बनाकर फल्‍गू नदी के किनारे श्री दशरथजी महाराज का पिंडदान कर दिया। जिसके परिणाम स्वरूप दशरथ जी की आत्‍मा प्रसन्‍न होकर सीता जी को आशीर्वाद देकर लुप्त गई। एक प्रचलित मान्‍यता के अनुसार इसी घटना के उपलक्ष्य में गया में बालू से प‍िंडदान करने की परंपरा प्रचलित हुई है।

Jyoti

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