हर किसी के पास होता है उसकी समस्या का समाधान, जानें कैसे
Thursday, Dec 05, 2019 - 02:10 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बात उस समय की है, जब प्रख्यात वैज्ञानिक थॉमस एडिसन फोनोग्राफ (बाद में ग्रामोफोन) बनाने में व्यस्त थे। इस काम से जुड़े कुछ हिस्से उन्होंने अपने एक सहायक को सौंप दिए थे ताकि वह मुख्य लक्ष्य पर खुद को केन्द्रित कर सकें। दो साल तक काम करने के बाद एडिसन का सहायक एक दिन उनके पास आया और बोला, ''सर, मैंने आपके हजारों डॉलर और अपने जीवन के दो साल इस काम में खपा दिए हैं, पर परिणाम कुछ भी नहीं निकला और लगता भी नहीं कि मुझसे कुछ हो पाएगा। आपकी जगह अगर दूसरा कोई होता, तो मुझे अब तक निकाल चुका होता।
एडिसन के उस सहायक को ग्लानि हो रही थी कि उसके कारण धन के साथ-साथ समय की भी बर्बादी हो रही है। उसने अपनी भावना व्यक्त करते हुए एडिसन से कहा, ''अब मुझे अहसास होने लगा है कि मैं आपके साथ अन्याय कर रहा हूं। मैं इस्तीफा देना चाहता हूं। इतना कह कर उस सहायक ने इस्तीफा एडिसन की मेज पर रख दिया और विनम्रतापूर्वक बोला, ''सर, कृपया मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लीजिए।
एडिसन ने झटके में सहायक का इस्तीफा पत्र उठाया और उसे फाड़ दिया। फिर वह सहायक की बात को अनसुना करते हुए बोले, ''मैं तुम्हारा इस्तीफा नामंजूर करता हूं। कुछ देर चुप्पी छाई रही। फिर एडिसन ने सहायक से कहा, ''दोस्त, मेरा विश्वास है कि अगर समस्या है तो उसका कोई न कोई हल भी होगा। दरअसल समाधान तो हमारे पास ही होता है पर हम उसे देख नहीं पाते इसलिए तुम जिस काम में जुटे हो, उसमें लगे रहो। किसी न किसी दिन समाधान अवश्य मिलेगा। वापस जाकर अपने काम में लग जाओ।
एडिसन के शब्दों ने उनके सहायक का विश्वास मजबूत कर दिया। वह दोगुने उत्साह से काम में लग गया। सचमुच कुछ समय बाद एडिसन ने फोनोग्राफ बना लिया।