हर बच्चे को मिलनी चाहिए ऐसी शिक्षा

Tuesday, Jan 21, 2020 - 09:44 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
ग्वालियर के एक प्रसिद्ध गायक मुकुंद पांडेय काफी दुखी रहते थे। वजह यह थी कि उनको 4 संतानें हुईं, मगर एक भी नहीं बची। इसी सिलसिले में वह ग्वालियर के फकीर हजरत मोहम्मद गौस से मिले जिनकी दुआ से उन्हें संतान सुख मिला, जिसका नाम उन्होंने राम रतन रखा। राम रतन बचपन से ही बहुत शरारती था। लोगों की नकलें उतारकर उन्हें चिढ़ाने में उसे बहुत मजा आता था। पशुओं व पक्षियों की आवाजें भी वह बदल-बदल कर निकाल लेता था। उसकी इन्हीं हरकतों से तंग आकर उसके पिता उसे जंगल में पशु चराने के लिए भेजने लगे।
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एक बार सुप्रसिद्ध गायक स्वामी हरिदास उसी जंगल से गुजर रहे थे। उन्हें देखकर राम रतन पास ही एक झाड़ी में छिप गया। पास आने पर उसने चीते जैसी आवाज निकाली जिससे स्वामी हरिदास व उनके शिष्य भयभीत होकर भागने लगे। तभी राम रतन झाड़ी से बाहर आकर हंसने लगा। हरिदास के शिष्यों ने उसे पकड़ लिया और दंडित करने का यत्न करने लगे। स्वामी हरिदास ने उन्हें रोका व बालक को लेकर उसके पिता के पास गए। स्वामी हरिदास ने मुकुंद को बताया कि उनके लड़के को यदि संगीत सिखाएं तो यह बालक समाज के लिए उपयोगी साबित होगा। पिता के कहने पर राम रतन ने स्वामी हरिदास से 11 वर्षों तक संगीत की शिक्षा ली।

अपनी बेमिसाल गायकी से राम रतन शीघ्र ही ग्वालियर नरेश के दरबार में पहुंच गए। यही राम रतन आगे चलकर तानसेन के नाम से प्रसिद्ध हुए, जिनकी गायकी सुनने के लिए बादशाह अकबर स्वामी हरिदास के साथ वेश बदलकर भी गए। बाद में तानसेन को बादशाह अकबर के दरबार के 9 रत्नों में स्थान मिला। आज भी उनके नाम पर हर वर्ष तानसेन सम्मान दिया जाता है। बच्चों के प्राकृतिक गुणों को पहचान कर उसी के अनुरूप यदि उन्हें शिक्षा दी जाए, तो वे महान बनते हैं।

Lata

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