आज शाम कर लें इस मंत्र का जाप और पाएं श्री हरि से सौभाग्य का वरदान

Monday, Jan 06, 2020 - 12:19 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग के अनुसार आज पौष माह के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी तिथि है। इस तिथि पर भगवान श्रीहरि के लिए व्रत-उपवास किया जाता है। स्कंद पुराण के एकादशी महात्म्य अध्याय में सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया गया है। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस खास दिन पर पूजा-पाठ का विशेष ध्यान रखा जाता है। कहते हैं कि एकादशी तिथि पर हर इंसान को शाम के समय तुलसी पूजन जरूर करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री हरि तुलसी के बिना भोग स्वीकार नहीं करते हैं। आज हम आपको तुलसी पूजा से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताने जा रहे हैं। 

तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है, इसलिए मान्यता प्रचलित है कि एकादशी पर तुलसी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। एकादशी की शाम तुलसी के दीपक जलाकर मंत्र जाप करना चाहिए। ध्यान रखें सूर्यास्त के बाद तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए और स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। तुलसी पूजा करते समय तुलसी नामाष्टक मंत्र का जाप करना चाहिए। नामाष्टक मंत्र-
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। 
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतनामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलभेत।।


मंत्र जाप विधि
शाम के समय स्नान के बाद तुलसी की पूजा और परिक्रमा करें और साथ ही गंध, फूल, लाल वस्त्र अर्पित करें। घी का दीप जलाएं। इसके बाद तुलसी के सामने बैठकर तुलसी की माला से इस मंत्र का जाप करें।

मंत्र जाप करते समय मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए और जाप कम से कम 108 बार करें। 

ऐसा माना जाता है कि जाप के बाद भगवान से परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करें और पूजा में हुई भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें।

तुलसी के पास बैठकर तुलसी की माला से तुलसी गायत्री मंत्र का जाप भी किया जा सकता है। तुलसी गायत्री मंत्र-
ऊँ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।

Lata

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