सर्दी के मौसम में प्रकृति से निकटता का लीजिए आनंद और हो जाएं मुग्ध

Friday, Jan 12, 2024 - 08:53 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

रोजमर्रा की भागदौड़ वाली जिन्दगी में आदमी अपने लिए सुकून देने वाले क्षणों को पूरी तरह से भूल चुका है। ऐसे में वह उन स्थानों को खोजने लगता है, जहां प्रकृति अपनी बांहें फैलाकर उसका स्वागत करने को तैयार हो। यहां आपको देश के कुछ ऐसे चुनिंदा स्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद आप इन स्थानों पर जाने को लालायित हो जाएंगे।

Canakry (Kerala) कैनकरी (केरल)
केरल के कुट्टनाड में स्थित कैनाकरी गांव केरल के एक छोटे से हॉलैंड जैसा है। यात्रा के दीवाने लोगों के आनंद लेने के लिए नाव की सवारी से लेकर नारियल का रस पीने तक कई गतिविधियां हैं। गांव आपको पुरानी यादों का एहसास देता है क्योंकि यह आपको बचपन की यादों में वापस ले जाता है, जहां आप पेड़ों से आम तोड़ते हैं और उन्हें इमली और मिर्च के साथ खाते हैं।


How to reach कैसे पहुंचें
निकटतम रेलवे स्टेशन अलप्पुझा में है। अलप्पुझा से कैनाकरी के लिए बस की सवारी करें।


Zero (Arunachal Pradesh) जीरो (अरुणाचल प्रदेश)
जीरो एक सुरम्य शहर है, जो अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से 115 किलोमीटर दूर स्थित है। इस कस्बे की सुंदरता ने बहुतों का ध्यान आकर्षित किया है, जिस कारण इसे यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पहाड़िया हैं बांस और देवदार के पेड़ों से भरी हैं। यह शहर एक बहुत ही दोस्ताना स्वभाव वाले आदिवासी समूहों का घर है, जिसे अपातानी जनजाति के नाम से जाना जाता है।

अपातानी जनजाति के बारे में एक अनोखा तथ्य यह है कि इस जनजाति की महिलाएं पुराने जमाने में चेहरे पर टैटू बनवाने की प्रथा का अनिवार्य अन्यास करती थीं। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनका मानना था कि अपतानी जनजाति की महिलाएं इतनी सुंदर होती हैं कि उन्हें अपने चेहरे पर टैटू बनवाना पड़ता है, ताकि अन्य जनजातियों के पुरुष उन्हें चुरा न सकें।

Best time to visit घूमने का सबसे अच्छा समय
अप्रैल से जून के गर्मियों के महीनों के अलावा, जीरो साल भर अपेक्षाकृत सुखद रहता है। हालांकि, सितंबर का महीना आपके लिए यात्रा करने के लिए उपयुक्त रहेगा, यदि आप हर साल होने वाले जीरो यूजिक फैस्टिवल में भाग लेना चाहते हैं।


How to reach कैसे पहुंचें
जीरो हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद जीरो गांव के लिए बस लें।


Mana Village, Uttarakhand माणा गांव, उत्तराखंड
उत्तराखंड में आप आज तक एक से एक बढ़कर खूबसूरत जगहों पर घूमे होंगे, लेकिन कभी आपने ऐसी जगह को एक्सप्लोर किया है, जहां से सीधा स्वर्ग का रास्ता दिखता हो या फिर खूबसूरत नजारा आपको मंत्रमुग्ध कर देता हो? अगर नहीं, तो आपको  भारत के उस आखिरी गांव के नाम से लोकप्रिय माणा जाना चाहिए जिसे देखने के लिए न केवल देसी बल्कि विदेशी पर्यटक भी खूब पहुंचते हैं।
इस गांव के आसपास कई देखने लायक जगहें मौजूद हैं। यहां सरस्वती और अलकनंदा नदियों का भी संगम देखने को मिलता है। साथ ही यहां कई प्राचीन मंदिर और गुफाएं भी हैं, जिन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ रहती है। गांव समुद्र तल से 18,000 फुट ऊंचा है, जहां से वादियों की खूबसूरती देखने लायक है। बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव में अब पक्की सड़कों की सुविधा है।

यहां ठंड भी अच्छी-खासी देखने को मिलती है, जब यह जगह बर्फ से ढंकी रहती है, जिस वजह से यहां के स्थानीय लोग सर्दी शुरू होने से पहले नीचे स्थित चमोली जिले में चले जाते हैं। इस गांव में आने वाले लोग भीमपुल भी जरूर जाते हैं। कहते हैं कि पांडवों ने स्वर्ग जाने के लिए इसी मार्ग को चुना था। यहां दो पहाड़ियां हैं, जिनके बीच में एक बड़ी खाई भी है। पांडवों के समय में इसे पार करना बेहद मुश्किल था। तब भीम ने यहां दो बड़ी-बड़ी शिलाएं डालकर पुल बनाया था। आज भी लोग इसे स्वर्ग जाने का रास्ता समझकर इस्तेमाल करते हैं।

माणा में एक चाय की दुकान भी है, जिसके बोर्ड पर भारत की आखिरी चाय की दुकान लिखा हुआ है। इस गांव के आगे कोई रास्ता नहीं है, बस आगे आपको भारतीय सेना देखने को मिल जाएगी।


How to reach कैसे पहुंचें
आप देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश से सीधे माणा गांव के लिए बस टिकट बुक कर सकते हैं।

 

 

 

 

Niyati Bhandari

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