कब है Eid-e-Milad-un-Nabi, जानिए इससे जुड़ी खास बातें

Friday, Nov 08, 2019 - 03:40 PM (IST)

शास्त्रों की  बाच, जानें धर्म के साथ
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक प्रत्येक वर्ष पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन से अवसर पर ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का पर्व मनाया जाता है। बताया जाता है कि इस दिन इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के मुताबिक रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मक्का में इनका जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम मोहम्मद इब्र अब्दुल्लाह इब्र अब्दुल मुत्तलिब था। बताया जाता है मोहम्मद साहब इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर थे। इस दिन मिलाद-उन-नबी 09 नवंबर की शाम से शुरू होकर 10 नवंबर की शाम तक चलेगा। इस्लाम धर्म के जानकारों के मुताबिक ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर मोहम्मद साहब के सांकेतिक पैरों के चिह्न पर इबादत की जाती है। ईस्लामिक धर्म की कुछ मान्यताओं के अनुसार इसी दिन यानि इनकी वफात (मृत्यु) भी ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन ही हुई थी।

इस्लाम धर्म के अनुयायी इस पर्व को मनाने के लिए रातभर जागते हैं और दुआएं मांगते हैं। साथ ही पैगंबर मोहम्मद साहब के उपदेश को पढ़ा जाता है और उन्हें याद किया जाता है। लोग इस पर्व को मनाने के लिए इस्लाम धर्म के अनुयायी दरगाह और मक्का-मदीना जाते हैं और वहां जाकर इबादत करते हैं। बताया जाता है इस दिन को शिया और सुन्नी समुदाय दोनों लोग अलग-अलग ढंग से मनाते हैं।

हजरत मोहम्मद का संदेश
हजरत मोहम्मद के दिए एक संदेश के अनुसार सबसे अच्छा आदमी वह है जिससे मानवता की भलाई होती है। साथ ही उन्होंने कहा था कि जो ज्ञान का आदर करता है, वह मेरा आदर करता है। हरजरत मोहम्मद कहते थे भूखे को खाना दो, बीमार की देखभाल करो, अगर कोई अनुचित रूप से बंदी बनाया गया है तो उसे मुक्त करो, संकट में फंसे प्रत्येक व्यक्ति की सहायता करो। फिर चाहे वो भले ही वह मुसलमान हो या किसी अन्य धर्म का।

कौन थे पैगंबर हजरत मोहम्मद?
पैगंबर मोहम्मद इस्लाम के सबसे महान नबी और आखिरी पैगंबर थे। उनका जन्म मक्का शहर में हुआ। यहीं की हीरा नामक गुफा में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया।

इसलिए मनाई जाती है ईद-मिलाद-उन-नबी
ईद-मिलाद-उन-नबी त्योहार को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन रात भर प्रार्थनाएं का दौर चलता है।

Jyoti

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