Dussehra Puja Mantra: दशहर पर इन चमत्कारी मंत्रों के जाप से भरें जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि
punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 06:00 AM (IST)

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Dussehra Puja Mantra: भारत त्योहारों की भूमि है और हर पर्व अपने भीतर गहरा आध्यात्मिक संदेश समेटे होता है। इन्हीं पावन उत्सवों में से एक है विजयादशमी या दशहरा, जो हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की थी और देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर संसार से अत्याचार का नाश किया था। माना जाता है कि इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ भगवान श्री राम की सच्चे मन से पूजा करने और मंत्रों का जाप करने से जीवन की बड़ी से बड़ी बाधाएं भी दूर हो जाती है और मन की हर मनोकामना पूर्ण होती है। तो आइ जानते हैं दशहरे के दिन राम जी के कौन से मंत्रों जका जाप करना चाहिए।
राम तारक मंत्र
ॐ जानकीकांत तारक रां रामाय नमः॥
सफलता प्राप्ति श्री राम मंत्र
ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।
ह्रीं राम ह्रीं राम ।
श्रीं राम श्रीं राम ।
क्लीं राम क्लीं राम।
फ़ट् राम फ़ट्।
रामाय नमः।
श्री रामचन्द्राय नमः।
श्री राम शरणं मम्।
ॐ रामाय हुँ फ़ट् स्वाहा।
श्री राम जय राम जय जय राम।
राम राम राम राम रामाय राम ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नम :
राम ध्यान मंत्र
ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम ,
लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !
श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ,
रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !
श्री राम गायत्री मंत्र
ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात् ॥
राम मूल मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं रां रामाय नमः॥
श्री राम मंत्र
ॐ रां रामय नमः। ॐ रामाय नमः।
दशाक्षर श्री राम मंत्र
हुं जानकी वल्लभाय स्वाहा ।
कार्य में सफलता हेतु मंत्र
ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।
ह्रीं राम ह्रीं राम ।
श्रीं राम श्रीं राम ।
रामाय नमः।
रां रामाय नमः
सौभाग्य प्राप्ति हेतु मंत्र
-श्री राम जय राम जय जय राम ।
श्री रामचन्द्राय नमः।
-राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने ।।
श्रीराम जी की आरती
आरती कीजै रामचंद्र जी की ।
हरि हरि दुष्ट दलन सीतापति जी की ।।
पहली आरती पुष्पन की माला ।
काली नागनाथ लाए गोपाला ।।
दूसरी आरती देवकी नंदन ।
भक्त उभारण कंस निकंदन ।।
तीसरी आरती त्रिभुवन मन मोहे ।
रतन सिंहासन सीताराम जी सोहे ।।
चौथी आरती चहुं युग पूजा ।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा ।।
पांचवी आरती राम को भावे ।
राम जी का यश नामदेव जी गावे।।