Dussehra 2024 shubh muhurat: आज रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा दशहरा जानें, शुभ मुहूर्त और शस्त्र पूजन मुहूर्त
punjabkesari.in Saturday, Oct 12, 2024 - 01:18 PM (IST)
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Dussehra 2024 shubh muhurat: दशहरा हर साल अश्विन माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है और इस दिन श्री राम ने लंका पति रावण का वध किया था। साथ ही मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का अंत किया था इसलिए यह पर्व विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। साल 2024 में यानी इस बार दशहरा 12 अक्टूबर शनिवार को मनाया जाएगा। वहीं इस दिन दो शुभ योगों का भी निर्माण हो रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आज आपको बताएंगे साल 2024 में दशहरा का शुभ मुहूर्त और शुभ योग। तो आईए जानते हैं...
Dussehra 2024 date and time: वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट से आरंभ हो रही है। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 13 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 07 मिनट पर होगा। चूंकि रावण दहन प्रदोष काल में किया जाता है। ऐसे में दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। वहीं इस दिन की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 03 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
Dussehra 2024 shubh muhurat: दशहरा के दिन शस्त्र पूजा करने की भी मान्यता है। दशहरा पर हर साल विजय मुहूर्त में शस्त्र पूजा करते हैं। इस बार दशहरा पर शस्त्र पूजा करने का शुभ समय दोपहर में 02 बजकर 03 मिनट से दोपहर 02 बजकर 49 मिनट तक है।
इसके अलावा साल 2024 में दशहरे को बेहद ही शुभ माना जा रहा है क्योंकि ज्योतिष पंचांग के अनुसार दशहरा पर रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। जिनको ज्योतिष में बेहद अहम माना गया है।
ज्योतिष शास्त्र में दशहरा तिथि एक अबूझ मुहूर्त माना गया है। मतलब इसमें बिना कोई मुहूर्त देखें, सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं।कोई कारोबार, प्रॉपर्टी या वाहन खरीद सकते हैं। मतलब कोई सामान खरीदने के लिए कोई मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं है।
दशहरा के दिन शाम में रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है। हर वर्ष दशहरा के दिन रावण के पुतलों का दहन इसलिए किया जाता है कि व्यक्ति अपनी बुराइयों को नष्ट करके अपने अंदर अच्छी आदतों और व्यवहार का विकास करें। साथ ही उसे इस बात को जानना चाहिए कि विजय हमेशा सत्य की होती है। अच्छाई की होती है। असत्य या बुराई की नहीं।