Dussehra 2022: ऐसे करें अपराजिता की पूजा, परिवार में बढ़ेगी सुख-शांति

Wednesday, Oct 05, 2022 - 10:30 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

दशहरा एक ऐसा त्यौहार है जिसे हिंदू धर्म में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था और अधर्म पर विजय पाई थी। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाए जाने वाला दशहरे पर्व अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन को पावन कहा गया है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार ये पूरा दिन हर प्रकार के मांगलिक व नए कार्य के आरंभ के लिए शुभ होता। जिस कारण इस दिन लोग कई प्रकार के नए कार्यो का आरंभ करते है। तो वहीं नवरात्रि व्रत के पारण के साथ-साथ दशहरे के दिन विभिन्न प्रकार के उपाय आदि करना लाभदायक होता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, दशहरा के दिन जिस तरह से नीलकंठ पक्षी देखना शुभ माना जाता है। इन सब के अतिरिक्त दशहरा के पावन पर्व को शमी के पेड़ और अपराजिता के फूल की पूजा करना आवश्यक व शुभ होता है। तो आइए आपको बताते हैं किस तरह की जाती है अपराजिता के फूल की पूजा।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

इस तरह होती है अपराजिता की पूजा-
दशहरा के इस पावन दिन अपराजिता की पूजा करना बेहद ही शुभ माना जाता है। मान्यताएं है कि इस दिन अपराजिता की पूजा करने से पूरे साल हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। साथ ही साथ रुके हुए काम अच्छे से समपन्न होने लगते हैं।

उत्तर-पूर्व(ईशान कोण) की तरफ की तरफ की जगह को साफ कर लें। उस जगह पर चंदन से आठ पत्तियों वाला कमल का फूल बना लें। इसमें अपराजिता के फूल या पौधा को रख दें। इसके बाद प्रार्थना करते हुए इस मंत्र को बोले- 'मम सकुटुम्बस्य क्षेम सिद्धयर्थे अपराजिता पूजनं करिष्ये'।

मंत्र को उच्चारण के बाद अपराजिता देवी से अपने परिवार की सुख-शांति व खुशहाली के लिए प्रार्थना करें व कुमकुम, अक्षत, सिंदूर, भोग, घी का दीपक जलाएं। बाद में देवी मां को अपने स्थान पर वापस जाने का निवेदन करें।

Jyoti

Advertising