Dussehra 2022: शुभ काम करने के लिए आज का दिन है बेहद शुभ

Wednesday, Oct 05, 2022 - 09:15 AM (IST)

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प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक दशहरा मनाया जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन का रहस्य श्री राम से जुड़ा है। भगवान श्री राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। जिस कारण इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। अतः इसे इस 'विजयादशमी' के नाम से भी जाना जाता है। तो वही लोग इस दिन शस्त्र-पूजा करते हैं। कहा जाता है किसी भी नए कार्य की प्रारंभ करने के लिए ये दिन बेहद शुभ होता है, इसलिए लोग इस दिन मांगलिक व अन्य प्रकार के कार्यों की शुरुआत करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय ही मिलती है। प्राचीन काल में राजा आदि इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे इसके अतिरिक्त इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं अगर आप भी कोई नया कार्य शुरू करने की सोच रहे हैं तो इस बार जरूर कर लें क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार इस दिन कई शुभ योग बन रहें हैं। जिसके चलते इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। तो आइए जानते हैं दशहरा के शुभ मुहूर्त व विजय मुहूर्त और इस दिन पड़ने वाले शुभ योग।

हिंदू पंचांग के अनुसार दशहरा इस साल 5 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 4 अक्टूबर 2022 मंगलवार को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन यानी कि 5 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजे तक रहेगी। उदय तिथि 5 अक्तूबर होने के कारण इस दिन विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से दोपहर 03 बजे तक रहेगा। ये समय नए कार्य की शुरूआत व शस्त्र पूजन के लिए शुभ माना जाता है।

तो वहीं इस बार दशहरे पर 3 शुभ योग भी बन रहे हैं। रवि योग, सुकर्मा योग और धृति योग का खास संयोग इस दिन के महत्व को दोगुना करेगा। बता दें, ज्योतिष गणना के हिसाब से रवि योग सुबह 06 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। सुकर्मा योग 4 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 23 मिनट से 5 अक्टूबर  सुबह 8 बजकर 21 तक रहेगा और धृति योग इस दिन  सुबह 8 बजकर 21 मिनट से अगले दिन सुबह 05 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।

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इस दिन भगवान राम, देवी अपराजिता तथा शमी के पेड़ की पूजा की जाती है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीराम ने माता सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए लंका पर चढ़ाई की थी। रावण की राक्षसी सेना और श्रीराम की वानर सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ था, जिसमें रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण जैसे सभी राक्षस मारे गए। रावण पर भगवान राम के विजय की खुशी में हर वर्ष दशहरा मनाया जाता है। वहीं, मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर देवताओं और मनुष्यों को उसके अत्याचार से मुक्ति दी थी, उसके उपलक्ष में भी हर वर्ष दशहरा मनाया जाता है। श्री राम का लंका विजय तथा मां दुर्गा का महिषासुर मर्दिनी अवतार दशमी को हुआ था, इसलिए इसे विजयादशमी भी कहा जाता है। विजयादशमी या दशहरा बुराई पर अच्छाई तथा असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है।

दहशरा के दिन शाम में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है। हर वर्ष दशहरा के दिन रावण के पुतलों का दहन इसलिए किया जाता है कि व्यक्ति अपनी बुराइयों को नष्ट करके अपने अंदर अच्छी आदतों और व्यवहार का विकास करे। साथ ही उसे इस बात को जानना चाहिए कि विजय हमेशा सत्य की होती है। अच्छाई की होती है। असत्य या बुराई की नहीं।

Jyoti

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