Dussehra 2022: जलाएं मन के भीतर का रावण

Monday, Oct 03, 2022 - 12:25 PM (IST)

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सनातन परंपरा में सदियों से रावण का पुतला जलाने की परंपरा है जिसमें रावण के वध को बुराई पर सचाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। दशहरा का पर्व यही संदेश देता है एक न एक दिन  बुराई की हार जरूर होती है, चाहे वह कितनी भी ताकतवर क्यों न हो। यह संदेश समाज में फैला हुआ है लेकिन इसको मन में बसाने की जरूरत है। रामलीला मैदानों में रावण का पुतला फूंका जाए तो संदेश यह जाता है कि बुराई का पुतला जला दिया गया। लेकिन, इससे कहीं ज्यादा जरूरी और सबसे ज्यादा जरूरी है कि मन के भीतर जो रावण का पुतला खड़ा है या बुराई बसी हुई उसको जलाया जाए, चूंकि रावण दहन सभी देख रहे होते हैं तो यह भी समझना जरूरी है कि मन के भीतर के रावणी पुतले को नष्ट करना भी जरूरी है तभी तो समाज में संयमित और अनुशासित रहते हुए नैतिक गुणों के समावेश के साथ स य नागरिक बना जा सकेगा। रावण अत्यंत विद्वान था। ईश्वर की आराधना में उसकी बराबरी करने वाला कोई नहीं था। तीनों लोक में उसकी वीरता का डंका बजता था लेकिन उसको भी केवल और केवल उसके मन के भीतर बसे बुराई रूपी रावण के पुतले ने ही मतिभ्रष्ट की स्थिति तक
पहुंचाया था।

रामायण में रावण अपने चरित्र से यह सीख देता है कि जब उसके जैसा बलशाली और अमरत्व का वरदान प्राप्त शिवभक्त बुराई के कारण मारा गया तो आम आदमी की क्या बिसात। मन की बुराई तमाम अच्छाइयों के बावजूद पतन तक पहुंचा ही देती है। इसलिए जरूरी है कि रावण का अंत हम देखें जरूर लेकिन उससे मिलने वाली सीख को भी मन-मिजाज में बिठा लें। सबसे पहली और सबसे बड़ी सीख तो यह है कि समाज में मर्यादा बनाए रखें और नैतिकता को हमेशा सर्वोपरि रखें। 

दिल्ली मेें इस साल करीब 6000 कमेटियां रामलीला मंचन करवा रही हैं। बॉलीवुड कलाकारों से लेकर राजनेता तक लीला में विभिन्न भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन, किरदारों में अगर सबसे अधिक किसी पात्र की प्रस्तुति दमदार होती है तो वह है रावण की। इसी तरह  लीला के विभिन्न प्रसंगों में  रावण वध की लीला सबसे प्रभावशाली होती है। इस बार राजधानी में रावण वध की लीला और पुतला दहन पारंपरिक ढंग से अलग  अंदाज में होगा। किस लीला में किस तरह से किया जाएगा रावण  दहन। इस पर आधारित यह रिपोर्ट:

राम का बाण लगते ही रावण की नाभि से बहेगी अमृत धारा
लवकुश रामलीला कमेटी, लालकिला के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने बताया कि इस साल 3 पुतलों का दहन किया जाएगा। रावण 100 फुट, कुंभकरण 90 फुट व मेधनाथ का पुतला 80 फुट का रहेगा। रावण के पुतले को जैसे ही प्रभू श्रीराम का बाण लगेगा वैसे ही रावण की आंखें मटकने लगेंगी और उसके गले की 3 रंगों से मालाएं चमकने लगेंगी। रावण की नाभि से अमृत की धारा निकलेगी और उसके मुख से दहाडऩे की आवाज निकलेगी। उन्होंने बताया कि पुतले बनाने वाले आजम और उनकी टीम डेढ़ महीने से गाजियाबाद से आकर पुतलों का निर्माण करने में लग जाती है। 

स्पेशल इफेक्ट से निकलेगी पुतला जलते ही पटाखों की आवाज
श्रीराम लीला कमेटी, अजमेरी गेट रामलीला मैदान के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि इस साल कोर्ट ने ग्रीन पटाखों पर बैन लगा दिया है। इसलिए हमारे यहां पुलतों में स्पेशल इफेक्ट व लेजर तकनीक का प्रयोग करते हुए पुतलों में पटाखों की आवाज रहेगी, ताकि दशहरा देखने वाले दर्शकों को ठीक वैसा ही महसूस हो जैसा पहले होता था। हमारे यहां 80 से 90 फुट के दिल्ली के सबसे ऊंचे पुतले तैयार किए जा रहे हैं। अन्य कमेटियां सबसे ऊंचे रावण का दावा जरूर करती हैं लेकिन सच ये है कि जगह अधिक होने से सबसे ऊंचा पुतला हर साल रामलीला मैदान में ही जलता है।
 

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वध से पहले बहेंगे रावण के आंसू
श्री नवधार्मिक रामलीला कमेटी, लालकिले के प्रचार मंत्री राहुल शर्मा ने बताया कि इस साल 4 पुतले जलाए जाएंगे। रावण, कुंभकरण और मेधनाथ सहित वैश्विक महामारी कोरोना का पुतला भी जलाएंगे। जैसे ही वैक्सीन कोरोना के पुतले में जाएगी वो जल उठेगा। इसके अलावा पुतला 80 से 100 फुट के होंगे। हमारे यहां पुतलों के कारीगर महेंद्रगढ़ से आते हैं और लीला स्थल पर ही बनाए जाते हैं। लेजर टेक्निक से पुतला जलता हुआ दिखेगा, इससे पुतला जलता हुआ दिखेगा। इस बार भगवान राम के द्वारा तीर चलाते ही रावण के आंखों से आंसू बहते हुए दिखाई देंगे।

लेजर से आतिशबाजी स्पीकर से निकलेगी आवाज
द्वारका श्रीरामलीला सोसायटी, सेक्टर-10 द्वारका के अध्यक्ष राजेश गहलोत ने बताया कि इस साल हम 4 पुतले जलाएंगे रावण का पुतला 95 फीट, कुंभकरण का 85 फीट व मेधनाथ का 75 फीट का पुतला बनाया जा रहा है। हालांकि चौथा पुतला किसी ज्वलंत विषय पर बनेगा जिसके बारे में अभी सोचा नहीं गया है। इस बार जैसे ही रावण जलेगा तो आसमान में लेजर से आतिशबाजी होगी और रावण के पुतले के दहन के समय स्पीकर से आवाज निकलेगी। लीला ग्राउंड में दूर खड़े दर्शक भी एलईडी स्क्रीन के जरिए रावण दहन आसानी से देख पाएंगे।

हाथ की तलवार से रावण करेगा अपना बचाव
श्रीरामलीला कमेटी पीयू ब्लॉक पीतमपुरा के आतिशबाजी मंत्री अनिल सिंघल व सुरक्षा मंत्री दिनेश जैन ने कहा कि सरकारी नियमों को ध्यान में रखते हुए इस बार दशहरे पर पुतलों का दहन किया जाना है। जिसके लिए बैट्री का प्रयोग किया जाएगा, डीसी करंट से पुतला दहन होगा व कोड अनार चलेंगे। पटाखों के साउंड के लिए साउंड सिस्टम का प्रयोग किया जाएगा। 4 पुतले जलेंगे जिनमें रावण, मेधनाथ, कुंभकर्ण व गो टू कोरोना का पुतला होगा। 

कभी खुलेंगी तो कभी बंद होंगी रावण की आंखें
श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के प्रवक्ता रवि जैन ने बताया कि इस साल 3 पुतले बनाए जा रहे हैं। जिनकी ऊंचाई करीब 80-90 फुट तक की होगी। इसमें खास बात रावण के पुतले में देखने को मिलेगी कि उसकी आंखें कभी खुलेंगी और कभी बंद होंगी। साथ ही रावण का पुतला पहले अट्टाहस करेगा लेकिन जैसे ही उसे बाण लगेगा तो वो कराहने लगेगा। इसके अलावा बैकग्राउंड साउंड के जरिए पटाखों के बजने की आवाज दी जाएगी। उन्होंने बताया कि पटाखों पर बैन की वजह से इस साल रावण दहन पर तकनीक का ही प्रयोग हर जगह किया जा रहा है। 

पीएम, सीएम से लेकर वरिष्ठ नेताओं को भेजा संदेश
सभी रामलीला आयोजकों का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली के मु यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी व राहुल गांधी से लेकर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को भी रावण दहन के कार्यक्रम का संदेशा भेजा है। आयोजकों का कहना है कि अभी कहीं से भी स्वीकृति पत्र नहीं आया है, हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के आने की संभावना लगभग हरेक लीलाओं को अभी तक है। 
 

Jyoti

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