नवरात्रि में मां के इस मंदिर में नहीं जा सकती हैं महिलाएं, जानें क्यों?

Sunday, Mar 15, 2020 - 05:53 PM (IST)

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नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए लोग दूर-दूर के मंदिरों व धार्मिक स्थलों पर जाते हैं ताकि वो माता रानी की कृपा और प्रेम पाने से वंचित न रह जाएं। मगर क्या आप जानते हैं देश में एक ऐसा भी मंदिर हैं जहां नवरात्रि काल में महिलाओं का जाना वर्जित है। जी हां, आुको जानकर हैरानी लेकिन ये सच है। जहां देशभर में ये मान्यता प्रचलित है कि इस दौरान कुंवारी कन्याओं का पूजन करना अच्छा व लाभकारी होता है वहीं इस मंदिरों में ऐसा करना वर्जित है। दरअसल हम बात कर रहे हैं बिहार के नालंदा जिले में स्थित मां आशापुरी मंदिर की। जो काफ़ी प्राचीन व प्रसिद्ध माना जाता है। मंदिर से जुड़ी मान्यताओं व कथाओं के अनुसार 9वीं शताब्दी में व्रज तंत्र ज्ञान और सहज ज्ञान का बहुत तेज़ों से फैलाव हुआ था। उसी समय से ये विश्व का सबसे प्रचलित बौद्ध साधना का केंद्र है। यही कारण है कि बौद्ध लोग यहां आकर तंत्र-मंत्र की साधना करते हैं। 

नवरात्रि में क्यों यहां महिलाओं का आना-जाना है वर्जित-
मंदिर के पुजारियों का कहना है यहां इन 9 दिनों में मंदिर में तंत्र-मंत्र क्रिया से देवी की पूजा की जाती है। जिस दौरान नवरात्रि में यहां दुनिया भर से तांत्रिक आते हैं। नवरात्रि के आखिरी दिन तांत्रिक यहां निशापूजा तथा विशेष प्रकार का हवन करते हैं। जिसके बाद महिलाओं और बच्चियों को यहां आने की अनुमति दी जाती है।

विफल हो जाती है पूजा 
ऐसा कहा जाता है तंत्र-मंत्र के दौरान बुरी शक्तियां आसपास होती हैं, जो महिलाओं के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं। जिससे पूजा पूरी तरह विफल हो सकती है। तो यही कारण है कि यहां की जाने वाली पूजा विफल न हो इसलिए नवरात्रि के पूरे 9 दिन महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं करती।

इस तरह की हैं सभी मूर्तियां
माता का मंदिर पाल कालीन माना जाता है। माता का स्वरूप सिद्धिदात्री का है। मंदिर परिसर में आशापुरी देवी की दो मूर्तियां हैं, साथ ही शिव-पार्वती और भगवान बुद्ध की भी कई मूर्तियां स्थापित हैं। यहीं की सभी मूर्तियां काली हैं। 

मंदिर की परंपरा न टूटे और महिलाओं की पूजा भी न रुके इस वजह से मंदिर के प्रांगण में अलग से मंदिर का निर्माण कराया गया है। नवरात्रि में यहां आकर महिलाएं पूजा करती हैं। बताया जाता है कि यह मंदिर न सिर्फ तंत्र-मंत्र और सिद्धियों के लिए जाना जाता है बल्कि कहते है कि यहां भक्त सच्चे मन से कुछ भी मांगता है तो उसकी इच्छा मां जरूर पूरी करती हैं। जिस कारण यहां माता को आशापुरा के नाम से जाना जाता है।

Jyoti

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