चंद्रमा को मिला श्राप आपके लिए बन सकता है अभिशाप, कलंकित होने से बचें

Wednesday, Aug 23, 2017 - 07:31 AM (IST)

शास्त्रों में गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहते हैं। गणेश पुराण के अनुसार गणेश जी द्वारा चंद्रमा को श्रापित किया गया। अतः इस दिन चंद्र दर्शन करना निषेध माना गया है। ऐसा करने पर व्यक्ति पर कलंक दोष लगता है। गणेश पुराण में कहा गया है कालांतर में ब्रह्मा व नारद महेश्वर के दर्शन हेतु कैलाश गए तभी नारद ने विशिष्ट फल महेश्वर को अर्पित किया। तभी कार्तिकेय व गणेश के महेश्वर से फल की ज़िद करने पर ब्रह्मा की सलाह पर महेश्वर ने फल को छोटे पुत्र कार्तिकेय को दे दिया। जिससे देखकर चंद्रदेव गणेश जी पर हंस पड़े। इसी कारण क्रोधित गणेश जी ने चंद्रदेव को श्रापित कर दिया। श्राप के अनुसार इस दिन चंद्रदेव को देखने पर व्यक्ति पाप व अभिशाप का भागी होता है तथा उस व्यक्ति पर मिथ्यारोपण का कलंक लगता है।


स्कंदपुराण में श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि “मया भाद्रपदे शुक्लचतुर्थ्यां चंद्रदर्शनं गोष्पदाम्बुनि वै राजन् कृतं दिवमपश्यता” 


अर्थात भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पर मैंने गोखुर के जल में चंद्र दर्शन किया जिसके फलस्वरूप मुझ पर मणि की चोरी का कलंक लगा। 


रामचरितमानस के सुंदरकांड में गोस्वामी जी अनुसार “सो परनारि लिलार गोसाईं। तजउ चौथि के चंद की नाईं” 


अर्थात भादवा की शुक्ल चतुर्थी के चंद्रदर्शन से लगे कलंक का सत्यता से कोई संबंध नहीं होता है। परंतु इसका दर्शन त्याज्य है।


विष्णुपुराण के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रदर्शन से कलंक लगने के शमन हेतु विष्णु पुराण में वर्णित स्यमंतक मणि का उल्लेख है जिसके सुनने या पढऩे से यह दोष समाप्त होता है। इसका वर्णन श्रीमद्भागवत पुराण के दशम स्कंध में 57वें अध्याय में है।

 

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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