OMG! दान से भी हो सकता है नुक्सान

Sunday, Apr 12, 2020 - 07:13 AM (IST)

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दान का जीवन में महत्व आदिकाल से रहा है। ऋषि-मुनियों और दानवीरों की गाथा से इतिहास भरा पड़ा है। सबसे बड़े दानी तो भगवान शिव को माना जाता है जो किसी याचक को कुछ भी देने से मना नहीं करते। दान प्रथा भारत की पहचान है और दान भी ऐसा होना चाहिए कि एक हाथ से दान हो और दूसरे हाथ को भी पता न चले। गुप्त दान का महत्व बहुत ज्यादा है। अन्नदान, वस्त्रदान, विद्यादान, अभयदान, धनदान सारे दान इंसान को पुण्य का भागी बनाते हैं। दान से धन, आयु, मान-सम्मान की रक्षा होती है। दान इंसान की आयु व स्वास्थ्य की रक्षा करता है। कहते हैं एक इंसान द्वारा किया गया दान उसकी सात पीढिय़ों तक को अपना लाभ देता है। दान देने से नवग्रह की पीड़ा से भी मुक्ति मिल जाती है। अलग-अलग वस्तुओं के दान से अलग-अलग परेशानियां दूर होती हैं परन्तु दान करें तो सोचकर ही करें। वेदों में लिखा है कि सैंकड़ों हाथों से कमाएं और हजारों हाथों से दान करें। जिस इंसान को दान करने से खुशी मिलती है उसे ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है। दान इंसान को श्रेष्ठ व सत्कर्मी बनाता है। जरूरतमंद लोगों को दान देने से अद्भुत पुण्य की प्राप्ति होती है। यहां इस बात का भी ख्याल रखें कि किस दान से किस राशि को नुक्सान हो सकता है।

मेष : सूर्य का दान न करें, मीठी चीजों के दान से बचें।
वृष : शनि का दान न करें, लोहा दान न करें।
मिथुन :  शुक्र का दान न करें, हरी चीजों के दान से बचें।
कर्क : चंद्रमा का दान न करें, सोने के दान से बचें।
सिंह : मंगल का दान न करें, भूमि व मिट्टी के बर्तनों व चीजों का दान न करें।
कन्या : बुध का दान न करें, दूध के दान से बचें।
तुला : शनि का और काली चीजों का दान न करें।
वृश्चिक : मंगल व पीली चीजों का दान न करें।
धुन : सूर्य व मीठी चीजों का दान न करें।
मकर : शुक्र का व तेल का दान न करें।
कुंभ : शनि का व हरी चीजों का दान न करें।
मीन : मंगल व लाल चीजों का दान कभी न करें।

अपनी राशियों के हिसाब से किया गया दान ही लाभकारी सिद्ध होता है। एक हाथ से किया गया दान हजारों हाथों से वापस लौटता है। अगर हम कुछ पाने की चाहत लेकर इसे करते हैं तो वह व्यापार बन जाता है और उससे कोई लाभ नहीं मिलता इसलिए कुछ दान देने के साथ-साथ देने की नीयत भी अच्छी होनी जरूरी है। दान देने से हर चीज बढ़ती ही है जैसे सूर्य अपनी रोशनी, फूल अपनी खुश्बू, पेड़ अपने फल, नदियां अपना जल देती हैं परन्तु इसके बावजूद ये सभी चीजें कभी कम नहीं होतीं बल्कि निरंतर उनमें वृद्धि ही होती है। दान हम एक रूप में देते हैं परन्तु दान मिलता है वापस हमको अनेकों रूपों में जिसको हम कई बार समझ नहीं पाते या जानबूझ कर समझना ही नहीं चाहते। बस अपने दान को ही याद करते हैं कि ये हमने दान किया परन्तु यह सोच गलत है हमें औरों से क्या-क्या मिल रहा है हमें ये भी याद रखना चाहिए।

मुखो पवित्रं यदि रामनामं।
हृदय पवित्रं यदि ब्रह्म ज्ञानं॥
चरणौ पवित्रं यदि तीर्थ गमनं।
हस्तौ पवित्रं यदि पुण्य दानं॥

अर्थात- राम नाम से मुख पवित्र होता है, ब्रह्म ज्ञान से हृदय पवित्र होता है, तीर्थ गमन से चरण पवित्र होते हैं और दान पुण्य से हाथ पवित्र होते हैं। अत: दान जरूर करें।

Niyati Bhandari

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