Kundli Tv- क्या आप जानते हैं आखिर क्यों सावन है शिव का प्रिय महीना

Saturday, Aug 04, 2018 - 03:39 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)
सावन का माह भगवान शंकर का प्रिय माह माना जाता है इस बारे में तो सभी जानते ही होंगे। इस महीने में शिव की पूजा का विशेष महत्व रहता है। भोले बाबा के भक्त पूरी श्रद्धा-भक्ति से इनकी पूजा-अर्चना करते हैं, ताकि भगवान प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करें। लेकिन इस महीने को शिव जी का इतना प्रिय माना क्यों माना जाता है इसके बारे में शायद ही किसी को पता होगा, कि आखिर क्यों इस ही माह में  शिव की आराधना सबसे उत्तम मानी जाती है। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार सृष्टि के शुरू से ही त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश इसकी रक्षा करते आ रहे हैं। ऐसे में जब सावन के शुरु होने से ठीक पहले विष्णु जी देवशयनी एकादशी पर योग निद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि के पालन की सारी ज़िम्मेदारियों से मुक्त होकर पाताललोक में विश्राम करने के लिए चले जाते हैं। तब उनका सारा महादेव भोले शंकर संभाल लेते हैं। सावन का प्रारंभ होते ही भगवान शिव जाग्रत हो जाते हैं और माता पार्वती के साथ पृथ्वी लोक का सारा कार्यभार संभाल लेते हैं। इसलिए सावन का महीना शिव के लिए बेहद खास होता है। 


कुछ मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव जी ने समुद्र मंथन से निकला विष पीकर सृष्टि की रक्षा की थी। यहीं कारण है कि इस महीने को शिव जी का प्रिय महीना माना जाता है। इसी के चलते ही सावन का महीना शिव जी की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। जैसे इस महीने में सबसे ज्यादा वर्षा होती है और अधिक वर्षा होने से विष से तप्त हुर्इ शिवजी की देह को ठंडक प्राप्त होती है।

इस पौराणिक कथा के अनुसार सनत कुमारों द्वारा भगवान शिव से सावन माह के प्रिय होने का कारण पूछा, तो भगवान शिव ने इसका उत्तर दिया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति द्वारा अपने देह का त्याग किया था, उससे पहल देवी सती ने महादेव को प्रत्येक जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने राजा हिमाचल और रानी मैना के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया था। पार्वती के रूप में देवी ने अपनी युवावस्था में, सावन के महीने में अन्न, जल त्याग कर, निराहार रह कर कठोर व्रत किया था। मां पार्वती के इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया। तभी से सावन का महीना महादेव का अतिप्रिय है। यही कारण है कि अन्‍य पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि सावन से प्रारंभ कर सोलह सोमवार के व्रत करने से कन्याओं को सुंदर पति मिलते हैं तथा पुरुषों को सुंदर पत्नियां मिलती हैं।
 

इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हिन्दू वर्ष में महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखे गए हैं। जैसे पहला माह चैत्र होता है, जो चित्रा नक्षत्र से संबंधित है। इसी तरह सावन महीना श्रवण नक्षत्र से संबंधित है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चन्द्र होता है और चन्द्रमा शंकर जी के मस्तक पर सुशोभित है। जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, तब सावन महीना प्रारम्भ होता है। गर्म सूर्य पर चन्द्रमा की ठण्डक होती है, इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से वर्षा होती है। जिससे विष को ग्रहण करने वाले महादेव को ठण्डक मिलती है ये प्रमुख कारण है कि शिवजी को सावन का महीना अत्यंत प्रिय है।

Kundli Tv- OMG ! यहां नाग करते हैं शिवलिंग की पूजा (देखें Video)

Jyoti

Advertising