क्या आपको पता है पुत्रजीवक बीज के बारे में ?

Friday, Jun 14, 2019 - 03:48 PM (IST)

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हमारे हिंदू धर्म में विवाह 16 संस्कारों में से एक होता है। शादी होने के बाद परिवार के हर सदस्य को नई बहु से बच्चे की कामना रहती है। लेकिन ज्यादातार ऐसा देखा जाता है कि लोगों को पुत्र की कामना अधिक होती है और इसके लिए बहुत सारे प्रयत्न भी करती हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि पुत्र की कामना बीच में ही रह जाती है। शास्त्रों में पुत्रजीवक बीज के बारे में बताया गया है। जोकि महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता है। तो आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे। 

प्राचीन चिकित्सा शास्त्र आयुर्वेद यह कहता है कि यह बीज उन महिलाओं के लिए वरदान है जिन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है। आयुर्वेद में इसका उपयोग महिला बांझपन उपचार के लिए किया जाता है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों को मजबूत करता है और एक महिला को गर्भधारण करने में मदद करता है। साथ ही इसे हजारों वर्षों से पुत्र की कामना के लिए बहुत ही अच्छी मानी गई है। क्योंकि यह पुत्र की कामना रखने वाली महिलाओं के लिए संतान देने में मदद करता है। ऐसी मान्यता है कि इसके बीज से बनी माला पर जाप मंत्र करने से पुत्र की आयु लंबी होती है। साथ ही संतान स्वस्थ्य भी रहता है। 

पुत्रजीवक का पेड़ पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका वृक्ष हमेशा हरा रहता है और इसके तने में हरे रंग की छाल होती है। पत्ते के किनारे कटे से होते हैं और इनका गहरा होता है। साथ ही साथ इसके फूल पीले हरे रंग के और गुच्छे में होते हैं। वहीं इसके फल गोल और नुखीले होते हैं। कहते हैं कि संतान प्राप्ति के लिए पुत्रजीवक बीज की गिरि को दूध के साथ मासिक के दिनों में लिया जाता है। इसके साथ ही साथ सभी प्रकार के मासिक धर्म रोगों के लिए बीज का गुदा और जीरा दूध में पीसकर मासिक धर्म के दौरान लिया जाता है। जो कि पुत्र प्राप्ति के लिए बेहद फायदेमंद बताया गया है। 

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