आज ही करें ये काम और पाएं तपस्या जितना महालाभ

punjabkesari.in Wednesday, Nov 13, 2019 - 08:59 AM (IST)

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सत्य नगर का राजा सत्य प्रताप सिंह अत्यंत न्यायप्रिय शासक था। एक बार उसे पता चला कि सौम्यदेव नामक एक ऋषि अनेक वर्षों से लोहे का एक डंडा जमीन में गाड़कर तपस्या कर रहे हैं और उनके तप के प्रभाव से डंडे में कुछ अंकुर फूट कर फूल-पत्ते निकल रहे हैं और जब वह अपनी तपस्या में पूर्ण सफलता प्राप्त कर लेंगे तो उनका डंडा फूल-पत्तों से भर जाएगा। 

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सत्य प्रताप ने सोचा कि यदि उनके तप में इतना बल है कि लोहे के डंडे में अंकुर फूटकर फूल-पत्ते निकल सकते हैं तो फिर मैं भी क्यों न तप करके अपना जीवन सार्थक बनाऊं। यह सोच कर वह भी ऋषि के समीप लोहे का डंडा गाड़कर तपस्या करने लगा। संयोगवश उसी रात जोर का तूफान आया। मूसलाधार वर्षा होने लगी। राजा और ऋषि दोनों ही मौसम की परवाह न कर तपस्या में मगन रहे। कुछ देर बाद एक व्यक्ति बुरी तरह भीगा हुआ ठंड से कांपता आया। उसने ऋषि से कहीं ठहरने की जगह के बारे में पूछा पर ऋषि ने आंख खोल कर भी नहीं देखा।

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निराश होकर वह राजा सत्य प्रताप के पास पहुंचा और गिर पड़ा। राजा ने उसकी इतनी बुरी हालत देखकर उसे गोद में उठाया। उसे नजदीक ही एक कुटिया नजर आई। उसने उस व्यक्ति को कुटिया में लिटाया और उसके समीप आग जलाकर गर्माहट पैदा की। गर्माहट मिलने से व्यक्ति होश में आ गया। इसके बाद राजा ने उसे कुछ जड़ी-बूटी पीसकर पिलाई। कुछ देर बाद वह व्यक्ति बिल्कुल ठीक हो गया। सुबह होने पर राजा जब उस व्यक्ति के साथ कुटिया से बाहर आया तो यह देखकर हैरान रह गया कि जो लोहे का डंडा उसने गाड़ा था वह ताजे फूल-पत्ते से भर कर झुक गया था। इसके बाद राजा ने ऋषि के डंडे की ओर देखा। ऋषि के थोड़े बहुत निकले फूल-पत्ते भी मुरझा गए थे। राजा समझ गया कि मानव सेवा से बड़ी तपस्या कोई नहीं। वह अपने राज्य वापस आकर प्रजा की समुचित देखभाल करने लगा।

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Niyati Bhandari

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