मंगलवार करें ये काम, अमंगल कभी नहीं फटकेगा आपके पास

Tuesday, Mar 17, 2020 - 09:01 AM (IST)

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मंगल ग्रह सभी ग्रहों में विशेष स्थान रखता है। नौ ग्रहों में केवल यही ग्रह है जिसकी स्थिति विवाह करते समय वर-वधू की कुंडलियों में विशेष रूप से देखी जाती है। मंगल सिंह राशि में गोचरस्थ थे परन्तु 26 जनवरी से ये इसी राशि में वक्री अवस्था प्राप्त कर गए हैं। मार्गी मंगल ही कष्टकारी कहे गए हैं जबकि वक्री अवस्था में मंगल और भी अधिक उत्तेजक तथा मारक हो जाते हैं परन्तु जिन व्यक्तियों की कुंडली में मंगल को शुभ अवस्था प्राप्त हो, उन्हें इस स्थिति से घबराने की आवश्यकता नहीं है, फिर भी मंगल के सरल उपाय सुरक्षा के लिए किए जा सकते हैं। ऐसा करने से कभी भी आपका अमंगल नहीं होगा।

उपाय 
मंगल यंत्र स्थापना: मांगलिक योग से प्रभावित व्यक्ति को घर के पूजा घर में मंगलवार के दिन मंगल यंत्र की विधिवत स्थापना कर नियमित रूप से इसकी पूजा करने से लाभ प्राप्त होता है। मंगल यंत्र वैवाहिक जीवन में सुख-शान्ति व सौहार्द बनाए रखने का कार्य भी करता है।

मंगल दोष शांति के विशेष दान: शास्त्रानुसार लाल वस्त्र धारण करने से और किसी जरूरत को मंगल की वस्तुएं- गेहूं, गुड़, माचिस, ताम्बा, स्वर्ण, गौ, मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्ठान एवं द्रव्य तथा भूमि दान करने से मंगल दोष दूर होता है। लाल वस्त्र में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्ठान एवं द्रव्य लपेटकर नदी में प्रवाहित करने से भी मंगल जनित अमंगल दूर होता है।

मंगल के मंत्र का जाप : ग्रहों का मंत्र जाप करने से भी ग्रह की शान्ति की जा सकती है? मंगल ग्रह की शान्ति के लिए ‘ऊँ भौ भौमाय नम:’ का जाप किया जा सकता है। राम नाम का पाठ करने पर भी मंगल की अशुभता में कमी होती है। इस मंत्र का जाप प्रतिदिन या प्रत्येक मंगलवार को एक माला अर्थात 108 बार या अधिक किया जा सकता है। मंत्र का पूर्ण उच्चारण करना चाहिए।

अन्य उपाय 
मंगलवार को सुन्दरकांड एवं बालकांड का पाठ करना लाभकारी है।
मंगल चन्द्रिका स्तोत्र का पाठ करना भी लाभ देता है।
मां मंगला गौरी की आराधना से भी मंगल दोष दूर होता है।
कार्तिकेय जी की पूजा से भी मंगल दोष के दुष्प्रभाव में लाभ मिलता है।

मंगल नहीं अमंगल  
मंगल ग्रह यदि जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में हो तो कुंडली को मांगलिक माना जाता है, ऐसा होने पर ऐसे जातक का विवाह भी मांगलिक स्त्री या पुरुष से ही करना चाहिए। इसी प्रकार शनि देव यदि जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में हो या दृष्टिगत भी हो तो कुंडली में मांगलिक योग का परिहार हो जाता है, सभी मांगलिक कुंडलियों में मांगलिक दोष हो ऐसा जरूरी नहीं होता, लोग व्यर्थ में मांगलिक योग सुन के भयभीत हो जाते हैं, जबकि मंगल ग्रह तो शुभ कार्य, भूमि, ऋणहर्ता एवं फल प्रदान करने वाले हैं।

 

Niyati Bhandari

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