सावन में इस 1 मंत्र जाप से ही, भोलेनाथ हो जाएंगे प्रसन्न

Thursday, Jul 18, 2019 - 02:49 PM (IST)

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कहते हैं कि ॐ का उच्चारण करने मात्र से ही व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। लेकिन फिर भी इसका अगर सही तरीके से जाप किया जाए तो व्यक्ति को दोगुना अधिक फल मिलता है। हिंदू धर्म में कई ऐसे मंत्र हैं जिनकी शुरुआत ॐ के साथ ही होती है। इसके पीछे की वजह केवल एक ही है कि ॐ शब्द में ही इतनी ताकत होती है कि वह उस मंत्र को ही अपने आप में ही पूरा कर देता है। जैसे कि सब जानते हैं कि सावन का महीना चल रहा है तो ऐसे में हम आपको शिव के प्रिय मंत्र यानि ‘‘ॐ नमः शिवाय’’ के बारे में विस्तार से बताएंगे। 

कैसे करें उच्चारण
शास्त्रों के अनुसार अंगूठे से अग्नि, तर्जनी उंगली से वायु, मध्यमा से आकाश, अनामिका से पृथ्वी और कनिष्का से जल तत्व का संचार सदैव रहता है। पंचाक्षर में पांच अक्षर भी इन पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे न अग्नि, मः वायु, शि आकाश, वा पृथ्वी और य जल तत्व के प्रतिनिधि हैं। इसलिए आप नमः शिवाय का जाप करते समय सबसे पहले ‘‘न’’ का मन ही मन उच्चारण करें। उस समय अंगूठे पर तर्जनी अंगुलि का प्रेशर डालें, फिर ‘‘मः’’ का उच्चारण करते समय तर्जनी अंगुलि पर अंगूठे का प्रेशर डालें, ‘‘शि’’ के उच्चारण के दौरान अंगूठे का प्रेशर मध्यमा अंगुलि पर, ‘‘वा’’ के उच्चारण के समय अंगूठे से अनामिका पर प्रेशर बनाएं और ‘‘य’’ के उच्चारण के दौरान अंगूठे से कनिष्का अंगुलि पर प्रेशर डालें। 

फिर ‘‘ॐ’’ का उच्चारण करते हुए हाथ को इस प्रकार पूरा खोल लें। निरंतर ऐसा करते रहने से आपके शरीर में पांच तत्वों के बीच एकता बनी रहेगी। शरीर का जो भी तत्व असंतुलित है, वह इस प्रकार के प्रेशर से शरीर की शक्ति को पुनः जागृत कर देगा। जब पांचों तत्व शरीर में संतुलित होंगे तो आपकी काया निरोगी रहेगी। 

फायदे
कहते हैं कि व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक कोई भी बीमारी तभी होती है जब शरीर में पांच में से किसी तत्व का बैलेंस खराब हो जाता है। हमारे शरीर में आकाश तत्व मस्तिष्क में, अग्नि तत्व कंधे में, वायु तत्व नाभी में, पृथ्वी तत्व घुटनों में और जल तत्व पांवों के नीचले भाग में स्थित हैं। नमः शिवाय के उच्चारण के साथ अंगुलियों पर प्रेशर होने से ये पांचों तत्व सदैव संतुलित रहेंगे। इससे आपकी काया तो निरोगी रहेगी ही साथ ही आपमें पॉजिटिव एनर्जी बनी रहेगी। 

ऐसा जरूरी नहीं है कि यह अभ्यास आप पूजा कक्ष में या मंदिर में बैठकर करें। यह अभ्यास आप ऑफिस में खाली समय में, कहीं आते-जाते समय कार या ट्रेन में बैठे हैं तो भी कर सकते हैं। जब समय खाली मिले तब करें। नमःशिवाय का उच्चारण मन ही मन करते जाएं और अंगुलियों पर प्रेशर बनाते रहे। यदि पूरे सावन यह अभ्यास करेंगे तो यह आपकी आदत बन जाएगी। 

Lata

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