भगवान को इस एक मंत्र से करें अक्षत अर्पित और फिर देखें चमत्कार

Monday, May 06, 2019 - 03:36 PM (IST)

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अक्सर ऐसा देखा गया है कि किसी भी देवी-वेदता की पूजा में अक्षत यानि चावल का प्रयाग किया जाता है। क्योंकि इसके बिना कोई भी पूजा अधूरी ही मानी जाती है। लेकिन एक बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि पूजा के समय उपयोग होने वाले चावल टूटे हुए नहीं होने चाहिए। अक्षत को किसी न किसी चीज़ के साथ मिलाकर भगवान पर अर्पित किया जाता है। जैसे रोली, कुमकुम, अबीर या हल्दी। आज हम आपको बताएंगे कि किस मंत्र का जाप करते हुए भगवान को अक्षत अर्पित किया जाता है। 

मंत्रः 
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ता: सुशोभिता:।
मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥

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अर्थातः हे भगवान, कुमकुम के रंग से सुशोभित यह अक्षत आपको समर्पित हैं, कृपया आप इन्हें स्वीकार करें। इसका यही भाव है कि अन्न में अक्षत यानि चावल श्रेष्ठ माना जाता है। इसे देवान्न भी कहा गया है, क्योंकि यह देवताओं का प्रिय अन्न माना जाता है। इसीलिए इसे सुगंधित द्रव्य कुमकुम के साथ आपको अर्पित कर रहे हैं। इसे ग्रहण करें, आप अपने भक्त की भावना को स्वीकार करें।

आइए जानें चावलों से जुड़ी कुछ खास बातें-
कहते हैं कि ये पूजा में इस्तेमाल होने के साथ-साथ किसी व्यक्ति को तिलक लगाते समय भी प्रयोग किए जाते हैं। 

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अक्षत पूर्णता का प्रतीक है यानि यह टूटा हुआ नहीं होता है। पूजा में अक्षत चढ़ाने का भाव यह है कि हमारा पूजन भी अक्षत की तरह पूर्ण हो, इसमें कोई बाधा न आए। पूजा बीच में टूटे नहीं यानि अधूरी न रहे। इसी प्रार्थना के साथ भगवान को चावल चढ़ाए जाते हैं।

शास्त्रों में चावल को अन्न में सबसे श्रेष्ठ माना गया है। इसका सफेद रंग शांति का प्रतीक है। चावल चढ़ाकर भगवान से प्रार्थना की जाती है कि हमारे सभी कार्य की पूर्णता चावल की तरह हो, हमें जीवन में शांति मिले।

Lata

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