पूजन संपन्न करने के बाद ये करना बिल्कुल न भूलें वरना...

Saturday, Aug 03, 2019 - 03:18 PM (IST)

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हिंदू धर्म में पूजा आदि के साथ-साथ मंत्रोच्चारण का भी बहुत महत्व है। शास्त्रों में प्रत्येक देवी-देवता के अपने अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं। तो वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर प्रकार के धार्मिक कार्य आदि में मंत्रों का उच्चारण करना अनिवार्य होता है। मान्यता है अगर ऐसा न किया जाए तो पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है। तो आज हम आपको एक ऐसे ही मंत्र के बारे में बतान जा रह हैं जिसका प्रत्येक पूजा के बाद उच्चारण करना बहुत अनिवार्य होता है। ज्योतिष शास्त्र के अलावा हिंदू धर्म के अन्य ग्रंथों में भी ये मंत्र वर्णति है।

यहां जानें इस मंत्र के बारे में-
शांति पाठ मंत्र

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,
पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

बता दें ये मंत्र यजुर्वेद का है। बता दें इस शांति पाठ मंत्र के द्वारा साधक ईश्वर से शांति बनाए रखने की प्रार्थना करता है। खासकर हिंदू संप्रदाय के लोगों के लिए किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्य, संस्कार, यज्ञ आदि के आरंभ और अंत में इस शांति पाठ के मंत्रों का मंत्रोच्चारण करना अनिवार्य होता है। इस मंत्र के माध्यम से कुल मिलाकर जगत के समस्त जीवों, वनस्पतियों और प्रकृति में शांति बनी रहे इसकी प्रार्थना की गई है। तो वहीं अगर इसका शाब्दिक अर्थ लिया जाए तो उसके अनुसार इसमें यह कहा गया है कि हे परमात्मा स्वरूप, शांति कीजिए, वायु में शांति हो, अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हों, जल में शांति हो, औषध में शांति हो, वनस्पतियों में शांति हो, विश्व में शांति हो, सभी देवतागणों में शांति हो, ब्रह्म में शांति हो, सब में शांति हो, चारों और शांति हो, हे परमपिता परमेश्वर शांति हो, शांति हो, शांति हो।

Jyoti

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