सावन खत्म होने से पहले ज़रूर कर लें ये काम वरना पछताएंगे

Friday, Aug 09, 2019 - 12:45 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
देवों के देव महादेव, अंतर्यामी भगवान शिव करूणामयी हैं। जिनकी करुणा से ही सारा जग चलता है। कहते हैं सावन के महीने में इनकी करूणा दोगुनी हो जाती है। वो इसलिए क्योंकि यह पावन महीना भगवान शिव का प्रिय माह है। कहते हैं ये माह निराश हुए लोगों के लिए आशा की एक किरण की तरह होता है। ज्योतिष के अनुसार इस दौरान भगवान की दृष्टि से बिगड़े काम बन जाते हैं, भटकतों को रास्ता मिल जाता है गिरने वालों का शिव जी खुद हाथ पकड़ उन्हें संभाल लेते हैं। इसलिए कहा जाता है इस माह में शिव जी का नाम जपते रहना चाहिए व और पूरे तन-मन से इनकी पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा इस दौरान जगतपिता शिव शंभू की विभिन्न प्रकार से अभिषेक भी किया जाता है।

अगर आपके जीवन में कोई ऐसी बाधा है जिससे मुक्ति नहीं मिल रही है या ग्रह बाधा है तो अभी आपके पास समय है। सावन के बचे दिन भगवान शिव का नीचे बताई गई विधि से अभिषेक ज़रूर करें।

सरसों के तेल से करें शिवलिंग का अभिषेक
सभी तरह की बाधाओं के नाश से छुटकारा पाने के लिए भोलेनाथ का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
इससे पहले भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
फिर तांबे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
अब ॐ भं भैरवाय नम: का जप करते हुए पात्र पर कलावा बाधें।
इसके बाद शिव पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नम: शिवाय" का जप करते हुए लाल फूलों की पंखुड़ियां अर्पित करें। अब सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। अभिषेक करते समय "ॐ नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा" मंत्र का जप करें।
अभिषेक के बाद शिवलिंग को शुद्ध जल से धोकर स्वच्छ वस्त्र से अच्छी तरह से साफ करने के बाद षोडषोपचार विधि से पूजन करें।

चने की दाल से शिवलिंग का अभिषेक
शुभ कार्य के आरंभ होने से पहले उसकी उन्नति के लिए सावन मास में भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय भोलेनाथ शिव के "समाधी स्थित स्वरूप" का मानसिक ध्यान करते रहे।
तांबे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक कर पूजन करें। फिर इस "ॐ यक्षनाथाय नम:" मंत्र का जप करते हुए पात्र पर इस पर कलावा बाधें। बाकि की सारी विधि उपरोक्त अभिषेक के अनुसारह ही करें बस सरसों के तेल की जगह चने की दाल का उपयोग करें और
अभिषेक करते हुए "ॐ शं शम्भवाय नम:" मंत्र का जप करें।

Jyoti

Advertising