श्री कृष्ण की मानें ये बात, मिलेगा खजाने का भंडार

Thursday, Sep 28, 2017 - 12:32 PM (IST)

एक बार कृष्ण और अर्जुन घूमने निकले तो मार्ग में एक निर्धन ब्राह्मण भीख मांगते दिखा। अर्जुन को दया आ गई और उन्होंने उसे स्वर्ण मुद्राओं की एक पोटली दी। राह में एक लुटेरे ने उससे वह पोटली छीन ली। दुखी ब्राह्मण फिर भिक्षावृत्ति में लग गया। उसे फिर से भीख मांगते देख अर्जुन ने दोबारा उसे एक मूल्यवान माणिक दिया।

इस बार ब्राह्मण ने उसे घर में रखे एक घड़े के अंदर छिपा कर सो गया। इस बीच ब्राह्मण की स्त्री वही घड़ा लेकर पानी भरने चली गई। पानी भरते समय नदी की धारा के साथ वह माणिक बह गया।

ब्राह्मण काफी दुखी हुआ और फिर भिक्षावृत्ति में लग गया। अर्जुन और कृष्ण ने उसे फिर भीख मांगते हुए पाया। इस बार कृष्ण ने उसे 2 कौडिय़ां दीं। अर्जुन ने पूछा, उससे उसका क्या होगा? कृष्ण ने अर्जुन से उस ब्राह्मण के पीछे जाने को कहा। रास्ते में ब्राह्मण की दृष्टि एक मछुआरे पर पड़ी जिसके जाल में फंसी एक मछली छूटने के लिए तड़प रही थी। ब्राह्मण को उस मछली पर दया आ गई। उसने 2 कौडिय़ों में उस मछली का सौद कर लिया और उसे अपने कमंडल में डालकर नदी में छोडऩे चल पड़ा। तभी मछली के मुख से वही माणिक निकला जो उसने घड़े में छिपाया था। ब्राह्मण प्रसन्नता के मारे चिल्लाने लगा ‘मिल गया मिल गया’। भाग्यवश वह लुटेरा भी वहीं से गुजर रहा था जिसने ब्राह्मण की मुद्राएं लूटी थीं।

उसने समझा कि ब्राह्मण उसे पहचान गया और अब वह पकड़ा जाएगा। उसने माफी मांगते हुए लूटी हुई सारी मुद्राएं उसे वापस कर दीं। यह देख अर्जुन ने पूछा, यह कैसी लीला है? श्री कृष्ण बोले, यह अपनी सोच का अंतर है। तुम्हारे देने पर उसने मात्र अपने सुख के बारे में सोचा, मेरे देने पर उसने मछली के दुख के बारे में सोचा। जब आप दूसरे का भला करते हो तभी ईश्वर भी आपका साथ देता है।

शिक्षा: खजाना मिलता है, अगर नेकी कर दरिया में डाल दो।

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