Diwali Bhog: दीपावली पर महालक्ष्मी से धन-समृद्धि का वरदान चाहते हैं तो मेहमानों को परोसें उनके प्रिय भोग
punjabkesari.in Friday, Oct 17, 2025 - 02:00 PM (IST)

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Diwali Bhog thali: यदि दीपावली की रात आप लक्ष्मी जी का पूजन कर इन सात्विक भोगों को श्रद्धापूर्वक अर्पित करते हैं, भोजन नियमों का पालन करते हैं और मन में प्रेम व कृतज्ञता रखते हैं, तो महालक्ष्मी दोनों हाथों से धन-समृद्धि का वरदान देती हैं। यह साधारण नहीं, बल्कि आध्यात्मिक समृद्धि का आरंभ होता है।
Offer these Bhog to Goddess Lakshmi on Diwali दीपावली पर मां लक्ष्मी को अर्पित करें ये शुभ भोग
महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भोजन में सात्विकता और पवित्रता का होना आवश्यक है। नीचे दिए गए भोग पहले माता लक्ष्मी को अर्पित करें, फिर परिवार व मेहमानों को परोसें-
बताशा – लक्ष्मी का प्रिय भोग, पवित्रता का प्रतीक।
शहद से भरा पान – सौभाग्य व मधुरता बढ़ाने वाला।
जल सिंघारा – शुद्धता और जल तत्व का प्रतिनिधि।
खीर – चंद्रमा और शांति का प्रतीक, जो सुख-समृद्धि प्रदान करती है।
मखाने – लक्ष्मी जी का स्वरूप माने जाते हैं, धनवृद्धि के लिए।
नारियल या नारियल की मिठाई – पवित्रता और समर्पण का प्रतीक।
चीनी के खिलौने – बालकों में आनंद व उल्लास लाते हैं।
दूध से बनी मिठाईयां – सात्त्विकता और स्वास्थ्य की द्योतक।
चावल – अन्नपूर्णा का आशीर्वाद, समृद्धि का प्रतीक।
दही – स्थिरता और शीतलता प्रदान करता है।
खील-बताशे – पारंपरिक लक्ष्मी पूजन का आवश्यक भाग।
Classical rules for eating food भोजन ग्रहण करने के शास्त्रीय नियम
भोजन से पूर्व हाथ, पैर और मुख धोना चाहिए। विशेष रूप से भीगे हुए पैरों से भोजन करना शुभ माना गया है, क्योंकि इससे शरीर का तापमान संतुलित रहता है और पाचन क्रिया मजबूत होती है।
According to the scriptures, food also has a deep impact on its direction and position शास्त्रों के अनुसार भोजन का भी दिशा और स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है-
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करना अत्यंत शुभ है।
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन अशुभ फल देता है।
पश्चिम दिशा की ओर मुख करने से रोगों की संभावना बढ़ती है।
Religious instructions for food preparers भोजन बनाने वालों के लिए धार्मिक निर्देश
भोजन बनाने वाला व्यक्ति स्नान करके, शुद्ध वस्त्र धारण कर, मन शांत रखे।
क्रोध, ईर्ष्या या नकारात्मक विचार से भोजन बनाना या खाना वर्जित है।
भोजन बनाते समय मंत्र जप या स्तोत्र पाठ करने से भोजन में दिव्यता बढ़ती है।
कहा गया है- यथा भोजनं तथाचित्तं, यथा चित्तं तथाऽचरः
अर्थात जैसे विचार होंगे, वैसा ही आचरण और भाग्य बनेगा।