Diwali 2020: 15 को है अमावस्या फिर भी 14 नवंबर को क्यों मनाई जाएगी दिवाली, यहां जानें कारण

Wednesday, Nov 04, 2020 - 12:36 PM (IST)

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त्यौहारों की झड़ी शुरू हो चुकी है, करवाचौथ, वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी, अहोई अष्टमी, भानु सप्तमी, राधा कुंड स्नान, धनतेरस, काली चौदस और फिर दिवाली। सनातन धर्म में इन तमाम दिनों का अधिक महत्व है। मगर इनमें से एक त्यौहार ऐसा माना जाता है, जिसका बच्चों से लेकल बढ़ों तक को इंतज़ार रहता है। जी हां, आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं हम बात कर रहे हैं, दिवाली की। सनातन धर्म में प्रचलित मान्यताओं दिवाली का त्यौहार श्री राम के 14 साल के वनवास के खत्म होने की खुशी में मनाया गया था। पंचांग के अनुसार इस बार दिवाली का ये त्यौहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा। 

ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार दिवाली का ये त्यौहार धनतेरस के दिन से प्रारंभ हो जाता है, जिसके बाद नरक चतुर्दशी पर यमराज के नाम पर दीपक जलाया जाता है। 

तो उसके अगल दिन कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष इइस दिन यानि अमावस्या के दिन दिवाली की मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। परंतु इस बार की दिवाली की बात करें तो इस बार छोटी और बड़ी दिवाली एक साथ ही पड़ रही है। मगर ऐसा क्यों है आइए विस्तारपूर्वक जानते हैं- 

ज्योतिष आचार्य बता रहे हैं कि इस बार दान और स्नान जैसे कार्यों करने वाली अमावस्या तिथि 15 को पड़ रही है, मगर दिवाली का पर्व 14 नवंबर को मनाया जाएहा। दरअसल चतुर्दशी तिथि 12 नवंबर 2020 को रात 9.30 मिनट से त्रयोदशी यानि धनतेरस की तिथि आरंभ हो जाएगी। जो 13 नवबंर की शाम 05 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। जिसके उपरांत चतुर्दशी तिथि आरंभ होगी जो 14 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 16 मिनट तक रहेगी।

फिर 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी। चूंकि दिवाली की पूजा रात में ही होती है, यही कारण है कि 14 नवबंर को ही दिवाली मनाई जाएगी। इसके अलावा चतुर्दशी 13 से आंरभ होकर 14 तक रहेगी, जिस कारण लक्ष्मी पूजन के दिन ही नरक चतुर्दशी भी मनाई जाएगी। तो वहीं दान-स्नान जैसे कार्यों की बात करें तो इस तरह के समस्त कार्य 15 नवंबर को ही किया जाएगा। 

आइए अब जानते हैं कि दिवाली के पूजन का शुभ समय कब का है, साथ ही जानते हैं कि कैसा होगा ये संयोग- 
ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि छोटी-बड़ी दिवाली की दोनों तिथि एक ही दिन पड़ने के कारण तथा शनि एवं गुरु ग्रह के अपनी ही राशि में होने के कारण शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। जिसके शुभ परिणाम स्वरूप आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है और धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। 

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार शाम को 5 बजकर 40 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।  

Jyoti

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