दिवाली पर अलग से जलाए जाते हैं 3 दीए, जानें इसके पीछे का कारण

Thursday, Oct 17, 2019 - 10:54 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
इस बात से तो सब वाकिफ ही हैं कि दिवाली की रात चारों तरफ दीए जलाए जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि घर के हर कोने में दीया जलाना चाहिए। दीपावली के दिन माता लक्ष्‍मी की पूजा करने के लिए एक दीपक अलग से जलाया जाता है और वह दीपक पीतल या स्टील का होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली के 5 दिन लगातार कुछ खास प्रकार के दीए जलाए जाते हैं। आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।   

शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन यमराज के समक्ष जिस घर में दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है। धनतेरस पर भी सभी जगह दीपक जलाए जाते हैं लेकिन बहुत कम लोग हैं जो यम को दीप दान करते हैं। धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और घर के अंदर भी 13 दीप जलाने होते हैं। लेकिन यम के नाम का दीपक परिवार के सभी सदस्यों के घर आने और खाने-पीने के बाद सोते समय जलाया जाता है। इस दीप को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है जिसमें सरसों का तेल डाला जाता है। यह दीपक घर से बाहर दक्षिण की ओर मुख कर नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दिया जाता है। 

कई घरों में इस दिन रात को घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दीया जला कर पूरे घर में घुमाता है और फिर उसे लेकर घर से बाहर कहीं दूर रख कर आता है। घर के अन्य सदस्य अंदर रहते हैं और इस दीये को नहीं देखते हैं। यह दीया यम का दीया कहलाता है। माना जाता है कि पूरे घर में इसे घूमा कर बाहर ले जाने से सभी बुराइयां और कथित बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं।

दीपावली की रात को घर में और घर के आसपास खास जगहों पर दीपक जलाकर रखे जाते हैं। कहते हैं कि दीपावली की रात को देवालय में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे तुरंत ही कर्ज से छुटकारा मिलता है और आर्थिक तंगी दूर हो जाती है।

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