ऐसे लोगों की संगत आपको दे सकती है बुरे परिणाम

Sunday, Dec 01, 2019 - 04:44 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक बार एक शिकारी शिकार करने गया, शिकार नहीं मिला, थकान हुई, तो एक वृक्ष के नीचे आकर सो गया। हवा तेज थी इसलिए वृक्ष की छाया कम-ज्यादा हो रही थी। इस दौरान वहां से सुन्दर हंस उड़कर जा रहा था। हंस ने देखा कि वह व्यक्ति परेशान हो रहा है, धूप उसके मुंह पर आ रही है और वह ठीक से सो नहीं पा रहा। हंस पेड़ की डाली पर अपने पंख खोल कर बैठ गया ताकि उनकी छांव में वह शिकारी आराम से सो सके।

शिकारी आराम से सो रहा था तभी एक कौवा आकर उसी डाली पर बैठा, जिस पर हंस बैठा था। कौवे ने इधर-उधर देखा और बिना कुछ सोचे-समझे शिकारी के ऊपर मल विसर्जन कर वहां से उड़ गया। शिकारी उठ गया और गुस्से से यहां-वहां देखने लगा तो उसकी नजर हंस पर पड़ी। उसने तुरंत धनुष-बाण निकाला और हंस को मार दिया। हंस नीचे गिरा और मरते-मरते हंस ने कहा, ''मैं तो आपकी सेवा कर रहा था, मैं तो आपको छांव दे रहा था, आपने मुझे ही मार दिया, इसमें मेरा क्या दोष?”

उस समय शिकारी ने कहा कि यद्यपि आपका जन्म उच्च परिवार में हुआ, आपकी सोच आपके तन की तरह ही सुंदर है, आपके संस्कार शुद्ध हैं, यहां तक कि आप अच्छे इरादे से मेरे लिए पेड़ की डाली पर बैठ मेरी सेवा कर रहे थे लेकिन आपसे एक गलती हो गई कि जब आपके पास कौवा आकर बैठा तो आपको उसी समय उड़ जाना चाहिए था। उस दुष्ट कौवे के साथ एक घड़ी की बुरी संगत ने ही आपको मृत्यु के द्वार पर पहुंचाया है।
 

Jyoti

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