धुलेंडी पर किए जाते हैं ये Special काम, जानें क्या ?

Monday, Mar 09, 2020 - 04:27 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल रंग वाली होली जिसे धुलेंडी व धुरड्डी के नाम से भी जाना जाता है 10 मार्च को मनाई जाएगी। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। होली वाले दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल लगाते हैं। ढोल बजाकर होली के गीतों पर डांस किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन लोग अपनी पुरानी कटुता मिटाकर एक दूसरे से गले मिलते हैं। शास्त्रों में अस खास दिन को मनाने के लिए कुछ खास कामों के बारे में बताया है, जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।  

धूलिवंदना
होलिका दहन के बाद धुलेंडी अर्थात धूलिवंदन मनाया जाता है। सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर होलिका को ठंडा किया जाता है। मतबल पूजा करने के बाद जल चढ़ाया जाता है। धूलिवंदन अर्थात् धूल की वंदना। होलिका की आग से बनी राख को माथे से लगाने की बाद ही होली खेलना प्रारंभ किया जाता है। अतः इस पर्व को धूलिवंदन भी कहते हैं।
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रंगों का खेल
घर में पूजा पाठ करने के बाद घर के बड़े बुर्जुगों को रंग लगाने के बाद होली खेली जाती है। सब अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने निकल पड़ते हैं। सभी नृत्य, गान और धूम धड़ाका करते हैं। गांवों में लोग देर रात तक होली के गीत गाते हैं तथा नाचते हैं। हर जगह की तरह के रंगों के साथ ये पर्व मनाया जाता है।
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दुश्मनी को दोस्ती में बदलना
इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं। शत्रु के घर जाकर भी उससे गले मिलकर, गिले-शिकवे दूर कर उनके साथ भी होली खेली जाती है और उनके लिए भी मंगल कामनाएं की जाती हैं।

गमी वाले घर रंग डालना 
कुछ राज्यों में इस दिन उन लोगों के घर जाते हैं जहां गमी हो गई है। उन सदस्यों पर होली का रंग प्रतिकात्म रूप से डालकर कुछ देर वहां बैठा जाता है। कहते हैं कि किसी के मरने के बाद कोई सा भी पहला त्योहार नहीं मनाते हैं।

भांग का सेवन
इस दिन लोग खूब भांग का सेवन करते और मिठाइयां खाते हैं। शाम को घरों में खीर, पूरी और पूड़े आदि विभिन्न व्यंजन पकाए जाते हैं। इस अवसर पर अनेक मिठाइयां बनाई जाती हैं जिनमें गुझियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। 


 

Lata

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