नहाने का ये तरीका खोलेगा आपके लिए उन्नति का मार्ग, ग्रहों का शुभ प्रभाव सदा रहेगा साथ

Tuesday, Oct 13, 2015 - 09:49 AM (IST)

लोक कल्याणार्थ ऋषि-महर्षियों ने ग्रहों के दोष निवारण और प्रसन्नता के लिए यंत्र धारण करना, ग्रहों के वैदिक एवं तंत्रसारोक्त मंत्र जाप, व्रत विधान, दानादि भी बताए हैं, जो अनुभवी ज्योषिती से परामर्श करके जाने जा सकते हैं। सूर्यादि नवग्रहों के अनिष्ट फल के शमन के लिए और शुभ फलों की प्राप्ति के लिए ग्रह से संबंधित औषधियों को जल में भिगोकर अथवा उनके काढ़े को जल में मिलाकर स्नान करने से भी रोग मुक्ति में सहायता मिलती है। ग्रहों के अनिष्य फल की शांति ग्रह पूजा, औषधि स्नान, होम एवं दान करने से होती है तथा मनुष्य का उन्नति का मार्ग खुलता है। 
 
* सूर्य शांति के लिए केशर, जेठीमधु, कमला गट्टा, इलायची, मन:शिल खस, देवदारू और पाटला से नित्य स्नान करना चाहिए। 
 
* चंद्रमा के अनिष्ट निवारण के लिए पंचगव्य, स्फटिक, गजमद, बिल्व, मुक्ता, कमल मोदी की सीप और शंख से स्नान करना चाहिए।
 
* मंगल की शांति के लिए चंदन, बिल्व, जटामांसी, लाल पुष्प, सुगंधबाला, नागकेशर और जयापुष्प से स्नान करना चाहिए।
 
* बुध की शांति के लिए नागकेशर अक्षत, मक्ताफल, गोरोचन, मंधु मैनफल और पंचगव्य से नित्य स्नान करना चाहिए।
 
* बृहस्पति ग्रह की अनिष्ट शांति के लिए पीली सरसों, जेठी मधु, सुगंधवाला मालती पुष्प जूही के फूल, पत्तों से नित्य स्नान करना चाहिए। 
 
* शुक्र ग्रह के अनिष्ट शमन के लिए श्वेत कमल, सुगंधबाला, इलायची और केशर से नित्य स्नान करना चाहिए।
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