मां धूमावती की ये विचित्र कथा नहीं जानते होंगे आप !

Monday, Jun 10, 2019 - 10:48 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
हिंदू पंचांग के अनुसार धूमावती जयंती का पर्व आज 10 जून, 2019 को मनाया जा रहा है। इस विशेष अवसर पर दस महाविद्या का पूजन किया जाता है। कहते हैं कि सभी मनोकामना को पूरा करने के लिए मां धूमावती की आराधना करनी चाहिए। जीवन से दुर्भाग्य, अज्ञान, दुःख, रोग, कलह, शत्रु सब मां धूमावती के वरदान और पूजन से निश्चित रूप से दूर होते हैं। धूमावती स्त्रोत का पाठ और कथा पढ़ने या सुनने से व्यक्ति की हर इच्छा पूरी होती है। 

मां धूमावती के प्राकट्य से संबंधित कथाएं अलग ही हैं। पहली कथा के अनुसार जब सती ने पिता के यज्ञ में अपनी इच्छा से खुद को जला कर भस्म कर दिया तो उनके जलते हुए शरीर से जो धुआं निकला, उससे धूमावती का जन्म हुआ। इसीलिए वे हमेशा उदास रहती हैं। यानि धूमावती धुएं के रूप में सती का भौतिक स्वरूप है। 

दूसरी कथा के अनुसार एक बार सती शिव के साथ हिमालय में विचरण कर रही थी। तभी उन्हें ज़ोरों की भूख लगी। उन्होंने शिव से कहा-'मुझे भूख लगी है' मेरे लिए भोजन का प्रबंध करें। शिव ने कहा-'अभी कोई प्रबंध नहीं हो सकता' तब सती ने कहा-'ठीक है, मैं तुम्हें ही खा जाती हूं और वे शिव को ही निगल गईं। शिव तो स्वयं इस जगत के सर्जक हैं, परिपालक हैं। ले‍किन देवी की लीला में वे भी शामिल हो गए। भगवान शिव ने उनसे अनुरोध किया कि मुझे बाहर निकालो, तो उन्होंने उगल कर उन्हें बाहर निकाल दिया। जैसे ही भोलेनाथ को बाहर निकाला तो उन्होंने देवी को श्राप दिया कि आज और अभी से तुम विधवा रूप में रहोगी। तभी से वे विधवा हैं। 

पुराणों में अभिशप्त, परित्यक्त, भूख लगना और पति को निगल जाना ये सब सांकेतिक प्रकरण हैं। यह इंसान की कामनाओं का प्रतीक है, जो कभी ख़त्म नहीं होती और इसलिए वह हमेशा असंतुष्ट रहता है।  

Lata

Advertising