भगवान शंकर के इस परम भक्त ने रचे थे ये तमाम ग्रंथ, जानते हैं आप?

Wednesday, Aug 11, 2021 - 02:53 PM (IST)

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यूं तो धार्मिक शास्त्रों में भगवान शंकर अनेकों भक्तों का वर्णन मिलता है परंतु इन तमाम भक्तों में से एक ऐसा वक्त है जिसने अपने ज्ञान की दम पर वह भगवान शंकर की कृपा से कई महान ग्रंथों की रचना की। वाल्मीकि रामायण की बात करें तो इसमें वर्णन मिलता है कि त्रेता युग का सबसे शक्तिशाली atul कहलाने वाला रावण ना केवल शक्तियों से परिपूर्ण था बल्कि महापंडित और परम राजनीतिज्ञ कहलाता था। इतना ही नहीं वह ज्योतिष, वास्तु विज्ञान की भी जानकारी रखता था। इसके लिए ग्रंथों को वर्तमान समय में की दुनिया पड़ती है जिससे इसके ज्ञानी होने का प्रमाण मिलता है।

आज हम आपको रावण द्वारा रचित किए गए कुछ ऐसे ही ग्रंथों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आज भी चिकित्सा, शिक्षा, ज्योतिष और आध्यात्मिक क्षेत्र के विशेषज्ञों को राह दिखाते हैं। कहा जाता है वर्तमान समय में दुनिया भले ही उसे उसके बुरे कर्मों के चलते जानती है परंतु उसके द्वारा तेरा ग्रंथ ऐसे हैं जिससे उसने राजनीति, इंद्रजाल पर भी जानकारियों का भंडार दिया है तो आइए जानते हैं कि रावण द्वारा रचित वो ग्रंथ-


शिव तांडव स्तोत्र- भगवान शंकर के भक्त आज भी इस तांडव स्तोत्र जप करते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रावण ने अपने आराध्य देव भगवान शिव शंभू को प्रसन्न करने के लिए तांडव स्तोत्र को रचा था। वर्तमान समय में जो भी तांडव स्तोत्र को पड़ता है यह सुनता है उस पर भोलेनाथ की हमेशा विशेष कृपा रहती है।

रावण संहिता- बताया जाता है इस शास्त्र की रचना की रावण द्वारा की गई थी। जिसमें उसके के जीवन व ज्योतिष की बेहतक जानकारियों का भंडार है। वर्तमान समय में इसे ज्योतिष यात्रियों के लिए एक अचूक ग्रंथ माना जाता है

दस शतकात्मक अर्कप्रकाश- किस ग्रंथ में चिकित्सा और तंत्र क्षेत्र के बारे में वर्णन मिलता है कोई मिला इसके जरिए वर्तमान समय में लोग रावण द्वारा बताए गए उपायों को अपनाते हैं।

दस पटलात्मक- बताया जाता है इसमें भी चिकित्सा और तंत्र क्षेत्र के बारे में ही बताया गया है जिसका उल्लेख काफी कम देखने सुनने में मिलता है। इसके अलावा कुमार तंत्र में भी रावण द्वारा चिकित्सा और तंत्र छेत्र के कई विधान उपाय बताए गए हैं।

नाड़ी परीक्षा- रावण द्वारा रची गई इस ग्रंथ में चिकित्सक क्षेत्र का एक अलग रूप से विस्तार किया गया है। इन सभी ग्रंथों के अलावा रावण ने अरुण संहिता, अंक प्रकाश, इंद्रजाल, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर तथा रावणीम आदि ग्रंथों की रचना की थी।

Jyoti

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