Dharmik Katha: कर्मों की विचित्र लीला

Thursday, Oct 06, 2022 - 11:10 AM (IST)

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महाराज धृतराष्ट्र ने महाभारत के युद्ध के समाप्त होने के पश्चात महॢष व्यास से पूछा, ‘‘मेरे ऐसे कौन से कर्म हैं जिनके कारण मेरे देखते-देखते मेरे सौ जवान पुत्र मर गए। मैं भी जन्म से अंधा हूं।’’

महर्षि व्यास ने कुछ क्षणों तक चिंतन करने के पश्चात कहा, ‘‘राजन! आप पूर्व जन्म में एक राजा थे। एक बार आप शिकार खेलने के लिए भयानक जंगल में पहुंचे। एक हिरन आप से बचकर भागता हुआ एक झाड़ी में छिप गया। आपने शिकार हेतु उस हिरण को काफी ढूंढा लेकिन वह हिरण आपको नहीं मिला। 

आपको बहुत गुस्सा आया। आखिर क्रुद्ध होकर आपने उस झाड़ी में ही आग लगा दी। जिससे हजारों पशु-पक्षी जलकर भस्म हो गए। हिरण वहां से भागकर बाहर निकल गया।’’

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उसी झाड़ी में एक सॢपणी ने सौ बच्चों को जन्म दिया था। आपने ज्यों ही उसमें आग लगाई सौ बच्चे मर गए।

बच्चों के मरने से और उसके जहर के धुएं से सॢपणी अंधी हो गई। पूर्व जन्म में तुमने सॢपणी के सौ बच्चों को मारा था, जिसके फलस्वरूप तुम्हारे सौ पुत्र मर गए और तुम्हारे कारण से सॢपणी अंधी हुई थी, जिसके फलस्वरूप तुम इस जन्म में अंधे हुए। यह सब कर्मों की विचित्र लीला है जो जैसा करता है उसे  वैसा ही प्राप्त होता है।

Jyoti

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