Ramakrishna Paramahamsa: पूर्ण समर्पण से ही मिलती है सफलता

Monday, Jul 18, 2022 - 10:31 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक बार स्वामी रामकृष्ण परमहंस अपने शिष्यों को कुछ उपदेश दे रहे थे। वह शिष्यों को अवसर की महत्ता बता रहे थे। वह कह रहे थे कि मनुष्य अक्सर अपने जीवन में आए सुअवसरों को ज्ञान और साहस की कमी के कारण खो देता है। अज्ञान के कारण मनुष्य या तो अवसर को समझ ही नहीं पाता और कोई समझ भी जाए तो उसका लाभ उठाने के अनुरूप उसमें साहस नहीं होता।

जब उन्होंने देखा कि बात शिष्यों को समझ नहीं आ रही है तो उन्होंने सामने ही बैठे नरेन्द्र से कहा, ‘‘नरेन्द्र! मान ले अगर तू एक मक्खी है और तेरे सामने अमृत का एक कटोरा भरा पड़ा  है। अब बता तू उसमें कूद पड़ेगा या किनारे बैठकर उसे छूने की कोशिश करेगा?’’
 

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

नरेन्द्र बोला, ‘‘किनारे बैठकर छूने की कोशिश करूंगा। बीच में कूद पड़ा तो प्राण संकट में आ सकते हैं, इसलिए  बुद्धिमानी इसी में है कि किनारे बैठकर खाने की कोशिश की जाए।’’

पास में बैठे दूसरे शिष्यों ने विवेकानंद के तर्क की खूब सराहना की। किन्तु परमहंसजी हंसे और बोले, ‘‘मूर्ख! जिस अमृत को पीकर तू अमर होने की कल्पना करता है, उसमें भी डूबने से डरता है। जब अमृत में डूबने का सुअवसर मिल रहा है तो फिर मृत्यु का भय क्यों?’’ 

तब शिष्यों को बात समझ में आई। चाहे आध्यात्मिक उन्नति हो या भौतिक, जब तक पूर्ण समर्पण नहीं होगा, सफलता संदिग्ध है।
 

Jyoti

Advertising