Dharmik Katha: बुढ़ापे में सुख से रहने के चार सूत्र

punjabkesari.in Friday, May 20, 2022 - 10:03 AM (IST)

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स्वामी श्रद्धानंद के पास एक वृद्ध सज्जन आए। वह अपने बेटे व बहू की उपेक्षा से बहुत दुखी थे। उन्होंने श्रद्धानंद जी से पूछा, ‘‘कृपया आप मुझे कोई ऐसा गुर बताइए जिससे मैं अपना शेष जीवन परिवार में रहते हुए सुखपूर्वक सम्माजनक ढंग से बिता सकूं। श्रद्धानंद जी ने कहा, ‘‘मैं आपको चार सूत्र बताता हूं। उनका पालन करेंगे तो परिवार में सबके प्रिय बने रहेंगे। सबसे पहली बात तो यह है कि यदि परिवार में सम्मान के साथ रहना हो तो बुढ़ापे में भी खाली कभी नहीं बैठना चाहिए। कोई न कोई कार्य जरूर करते रहना चाहिए। जिससे सभी आपकी उपयोगिता समझें।

दूसरे कम से कम बोलना चाहिए। ज्यादा बोलने से माहौल बिगड़ने का डर तो रहता ही है, शक्ति और बुद्धि दोनों क्षीण होती है। तीसरे, बिना मांगे कभी सलाह नहीं देनी चाहिए क्योंकि वृद्ध होने पर परिवार के कर्ताधर्ता आप नहीं रह जाते और जो कर्ताधर्ता होते हैं, वे आपकी सलाह सुनना नहीं चाहते। चौथी बात यह कि शरीर और मन शिथिल होने के बाद सहने की आदत विकसित करनी चाहिए। सहनशीलता ही परिवारों को साथ रखने का प्रमुख माध्यम है।
 


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Content Writer

Jyoti

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